India News (इंडिया न्यूज),Bihar Assembly Elections:बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू में ‘एम’ फैक्टर यानी मुस्लिम वोट बैंक को साधने को लेकर हलचल मची हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अब जेडीयू को मुस्लिम वोट न मिलने की बात हर मंच पर खुलकर बोलने लगे हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मुस्लिम वोटों को लेकर मुजफ्फरपुर में बड़ा बयान दिया था। अब संजय झा ने सीमांचल में मुस्लिम वोट न मिलने पर गोलमोल जवाब दिया है। वहीं, सीमांचल से आने वाले नीतीश कैबिनेट के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा है कि मुस्लिम समाज के लोग भी जेडीयू को वोट करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर जेडीयू के अंदर घमासान क्यों मचा हुआ है? खुद सीएम नीतीश कुमार ने अब तक किसी सार्वजनिक मंच से ऐसा बयान क्यों नहीं दिया?
नीतीश कैबिनेट के कद्दावर नेता जमा खान को यह क्यों कहना पड़ा कि मुस्लिम समाज भी जेडीयू को वोट करता है? क्या यह नीतीश कुमार की रणनीति नहीं है? आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आरजेडी के साथ ही जेडीयू ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. जेडीयू राज्य के हर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए जनता का मूड भांप रही है. इसी कड़ी में जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय सिंह ने रविवार को सीमांचल में कार्यकर्ता सम्मेलन में ऐसा बयान दिया, जिसका सीधा इशारा मुसलमानों की तरफ है. संजय झा ने अल्पसंख्यक वोटरों को लेकर कहा, देखिए, नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार लगातार आगे बढ़ रहा है. नीतीश कुमार के शासन में बिहार में कभी कर्फ्यू नहीं लगा. नीतीश कुमार ने सबके लिए काम किया. लेकिन, जिन्होंने वोट भी नहीं दिया और उन्हें लगता है कि नीतीश कुमार ने काम किया और आपकी सेवा की, अब आपसे अपील है कि इस बार नीतीश कुमार को वोट दें. मुस्लिम वोट बैंक का मुद्दा बार-बार क्यों उठाया जा रहा है? पत्रकारों ने जब संजय झा से पूछा कि अल्पसंख्यक वोटों को लेकर ऐसी चर्चा चल रही है कि जेडीयू को उनका वोट नहीं मिलता है. मैं एक बार फिर कहता हूं कि जिन लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया, उन्हें उन्हें एक मौका जरूर देना चाहिए।
पहले ललन सिंह और अब संजय झा के बयान से पता चलता है कि जेडीयू मुस्लिम वोटों, खासकर पसमांदा मुसलमानों को फिर से हासिल करना चाहती है। बिहार में कुल मुस्लिम आबादी में पसमांदा मुसलमान 20 फीसदी हैं। 2015 तक इस वर्ग का 80 फीसदी वोट नीतीश कुमार को मिलता था। लेकिन, पिछले चुनाव में इस वर्ग ने जेडीयू को वोट नहीं दिया। नतीजतन जेडीयू की हालत खराब हो गई।
पिछले कुछ दिनों से बिहार में मुस्लिम वोट बैंक को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। प्रशांत किशोर मुस्लिम वोट बैंक के लिए एक के बाद एक तीर चला रहे हैं, वहीं तेजस्वी यादव ने भी मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए हाल के दिनों में कई फैसले लिए हैं। सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे आसमां और पत्नी को पार्टी में शामिल किया गया, जबकि दरभंगा के पूर्व सांसद अशरफ फातमी जैसे नेताओं को पार्टी में शामिल कर मुसलमानों को बड़ा संदेश दिया गया है कि आरजेडी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मुस्लिम हितों का ख्याल रखती है।
इसलिए चाहे ललन सिंह हों या संजय झा, वे अब यह कहते फिर रहे हैं कि जेडीयू मुसलमानों के हित में काम करती रही है। इसलिए मुस्लिम मतदाताओं को भी नीतीश कुमार के पक्ष में वोट करना चाहिए। आपको बता दें कि बिहार में हाल ही में चार सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों के बाद कहा जा रहा है कि जेडीयू से मुस्लिम वोट बैंक पूरी तरह से छिटक गया है। बेलागंज, रामगढ़, इमामगंज और तरारी सीट पर प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज और आरजेडी को मिले वोटों से इसकी झलक मिलती है. शायद यही वजह है कि जेडीयू के नेता मुसलमानों को लेकर खुलकर बोलने लगे हैं. शायद इससे मुस्लिम वोट बैंक वापस आ जाए? जेडीयू के दो बड़े नेताओं के बयान बता रहे हैं कि जेडीयू हर कीमत पर मुस्लिम वोट बैंक वापस पाना चाहती है. आपको बता दें कि ललन सिंह ने सबसे पहले कहा था, ‘सीएम नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के लिए जितना काम किया है, उतना किसी ने नहीं किया. लेकिन, इसके बावजूद मुस्लिम समुदाय के लोग जेडीयू को वोट नहीं देते. जानकारों की मानें तो ललन सिंह ने मुस्लिम समुदाय के सामने सच्चाई रख दी. क्योंकि, सीएम रहते हुए नीतीश कुमार ने बिहार में मुसलमानों, खासकर बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू किया.
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