India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला | Jyotiraditya Scindia: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने इस बार चुनौती चुनाव जीतने की नहीं है, बल्कि बड़ी जीत हांसिल करने की है। इसके लिए सिंधिया अपनी लोकसभा सीट गुना शिवपुरी में दिन रात एक किए हुए हैं। हालांकि बीच बीच में दिल्ली का चक्कर लगा मंत्रालय की जरूरी फाइल भी निपटाते हैं। साथ ही अपनी मां से मिल उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट भी लेते हैं। उनकी मां बीमारी के चलते लंबे समय से अस्पताल में भर्ती हैं।
सिंधिया ने इससे पूर्व लोकसभा के सभी चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे। लेकिन पहली बार वह भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के राव यजवेंद्र सिंह यादव से है। सिंधिया को पिछली बार भाजपा प्रत्याशी के पी यादव ने उन्हें डेढ़ लाख से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया था। सिंधिया के लिए यह हार बड़ा झटका थी। 2019 में मोदी लहर में कांग्रेस के कई दिग्गज धराशाही हो गए थे।
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इस हार के बाद कांग्रेस में बड़ी टूट हुई। सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा में आ गए। बीते चार साल में उन्होंने भाजपा में अपनी पकड़ मजबूत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम के एक अहम हिस्से हैं। इस नाते पार्टी ने उन्हें गुना लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना चुनावी मैदान में उतारा। जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो इस सीट पर यादव,जाटव,सहरिया आदिवासी,लोधी और कुशवाह 45 प्रतिशत के आसपास हैं। इन वोटरों को साधना सिंधिया के लिए बड़ी चुनौती है। इस सीट पर यूं तो ग्वालियर राजघराने का ज्यादा दबदवा रहा है। सिंधिया की दादी विजय राजे सिंधिया, पिता माधवराव सिंधिया इस सीट से चुनाव लड़ते थे। इनके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस सीट को ही राजनीति के लिए चुना। यहां से वह दो बार चुनाव भी जीते,लेकिन मोदी लहर में पिछली बार चुनाव हार गए।
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इस बार सिंधिया भाजपा की तरफ से मैदान में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दम पर बीते साल पार्टी को विधानसभा का चुनाव जितवा मध्यप्रदेश में शासन के लिए नई बीजेपी को मौका दिया। शिवराज सिंह चौहान की जगह पार्टी ने मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। कह सकते हैं प्रदेश में आज भी मोदी लहर चल रही है। अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के बाद पूरे देश में माहोल यूं भी राम मय बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों से साफ है कि बीजेपी चुनाव को हिंदुत्व के पिच पर लड़ रही है।
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सिंधिया के लिए जीत की राह में कोई अड़चन नहीं है। लेकिन असल चुनौती है कि जीत का अंतर पिछली बार मिली हार से दुगना करना है। पिछली बार डेढ़ लाख से हारे थे तो सिंधिया की कोशिश इस बार जीत कम से कम तीन लाख से ज्यादा हो। क्योंकि इस सीट पर सिंधिया परिवार ने बड़ी जीत हासिल की है। लेकिन इस बार चिंता यादव और दलित वोटों की है। हालांकि मुख्यमंत्री यादव हैं तो समझा जा रहा है कि यादव वोट बंटेगा। क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी यादव हैं। बाकी पिछड़ी जाति का वोट साधना भी चुनौती है। माहौल को देखते हुए इतना तो तय माना जा रहा है कि हिंदुत्व के नाम पर वोट जातियों में कम ही बंटेगा। जिसका सीधा लाभ सिंधिया को मिलेगा। अगर सिंधिया बड़ी जीत हासिल करते हैं तो उनका पार्टी में तो कद बढ़ेगा ही साथ ही यह भी साबित हो जाएगा कि सिंधिया परिवार की गुना में पकड़ पहले की तरह ही है।
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