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India News (इंडिया न्यूज), Karnataka Rajyotsava 2023: हर साल 1 नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव बनाया जाता है। ये दिन कर्नाटक के लोगों के लिए बेहद खास है, क्योकि इस दिन राज्य के लोग एक साथ अपने राज्य के गठन का और देश के अभिन्न राज्य के रूप में पहचान पाने का जश्न मनाते हैं। बता दें कि काफी सर्घषों के बाद भाषा के आधार पर 01 नवंबर 1956 को कर्नाटक राज्य का गठन हुआ था। कर्नाटक के लिए ये दिन सार्वजनिक अवकाश तक ही सीमित नहीं है, बल्की यह अत्यंत गौरव, सांस्कृतिक उत्सव और कर्नाटक की विशिष्ट पहचान पाने का दिन है।
कर्नाटक के इतिहास में अलुरु वेंकट राव बड़े खास शख्सयसियत रहें हैं। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने साल 1905 में कर्नाटक एकीकरण आंदोलन के साथ अपने राज्य को एकजुट करने का सपना देखा। कर्नाटक एकीकरण आंदोलन के तहत ही राज्य के गठन में उनका योगदान रहा।
साल 1950 में जब भारत गणतंत्र बना, उस वक्त क्षेत्रों विशेष में बोली और भाषा को आधार देश में विभिन्न प्रदेशों का गठन किये जाने का निर्णय लिया गया। बटवारे के बाद भाषा के आधार पर भारत में राज्यों के गठन को लेकर दक्षिण में कई तरफ से प्रदर्शन किए जा रहे थे। ज्यादातर दक्षिण भारत पहले मैसूर राज्य था। 1 नवंबर 1956 को मैसूर राज्य का गठन हुआ, जिसमें मैसूर की रियासत का अधिकांश क्षेत्र शामिल था। मैसूर राज्य को अलग से कन्नड़ बनाने के लिए बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी के कन्नड़ भाषी क्षेत्रों के हैदराबाद की रियासत के साथ मिला दिया गया था।
पूर्ववर्ती रियासर के नाम होने की वजह से नवगठित और एक अलग राज्य के रूप में मैसूर नाम से शुरू में किसी प्रकार की आपत्ति नहीं थी। हालांकि, वक्त के साथ उत्तर कन्नड़ वासियों ने मैसूर नाम को बदलने की मांग करना शुरू कर दिया। इसको लेकर उनका तर्क था कि राज्य के नवगठन के बाद पूर्ववर्ती रियासत का नाम बरकरार रहने से ये हमेश नए राज्य को भी दक्षिणी प्रांतों के ही निकट जाना जायेगा और इसका असर राज्य के अन्य प्रांतों के लोगों में एकजुटता की कमी हो सकती है। काफी दिनों तक चले इस तर्क के बात 1 नवंबर 1973 को मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया।
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