India News(इंडिया न्यूज),Katchatheevu Island: देश में अभी पक्ष और विपक्ष लगातार रूप से कच्चातिवू मुद्दे आमने सामने है। जिसमें कांग्रेस और भाजपा का राजनीतिक विवाद सोमवार को तेज हो गया जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और दावा किया कि द्वीप के आसपास दशकों पुराना क्षेत्रीय और मछली पकड़ने का अधिकार विवाद अचानक सामने नहीं आया और इस पर अक्सर संसद में बहस होती रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि, कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातीवू द्वीप के बारे में उदासीनता दिखाई और इसके विपरीत कानूनी विचारों के बावजूद भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया।

ये भी पढ़े:- Katchatheevu Island: कच्चातिवु द्वीप मामले में पीएम मोदी और कांग्रेस आमने सामने, जानें क्यों भड़का मुद्दा

जयशंकर का बयान

वहीं एस जयशंकर का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कच्चातिवु द्वीप मुद्दे पर द्रमुक पर निशाना साधने के तुरंत बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्य के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया। संवाददाता सम्मेलन में आगे जयशंकर ने कहा कि, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने समुद्री सीमा समझौते के तहत 1974 में श्रीलंका को दिए गए कच्चाथीवू को “छोटा द्वीप” और “छोटी चट्टान” करार दिया, और जोर देकर कहा कि यह मुद्दा यह अचानक उत्पन्न नहीं हुआ बल्कि हमेशा एक जीवंत मामला था।

पंडित नेहरू के नजरिए पर सवाल

इसके साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, मई 1961 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिए गए एक अवलोकन में उन्होंने लिखा था, ‘मैं इस छोटे से द्वीप को बिल्कुल भी महत्व नहीं देता और मुझे इस पर अपना दावा छोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। मुझे इस तरह के मामले पसंद नहीं हैं। अनिश्चित काल तक लंबित है और संसद में बार-बार उठाया जा रहा है।’ तो, पंडित नेहरू के लिए, यह एक छोटा सा द्वीप था, इसका कोई महत्व नहीं था, उन्होंने इसे एक उपद्रव के रूप में देखा… उनके लिए, जितनी जल्दी आप इसे छोड़ देंगे, उतना बेहतर होगा।

ये भी पढ:- मध्यप्रदेश में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे की गुंडागर्दी, पत्रकार सहित चार लोगों को सार्वजनिक रूप से पिटा

केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच का मामला

जयशंकर ने कहा, यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच लगातार पत्राचार का मामला रहा है और उन्होंने मुख्यमंत्री को कम से कम 21 बार जवाब दिया है। समझौते के खिलाफ सार्वजनिक रुख को लेकर द्रमुक पर हमला करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को समझौते के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी, जो पहली बार 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच हुआ था। उन्होंने कहा कि द्रमुक ने 1974 में और उसके बाद इस स्थिति को बनाने में कांग्रेस के साथ बहुत हद तक “मिलीभगत” की थी।

श्रीलंकाई हिरासत में बंद इतने भारतीय

वहीं जयशंकर ने बताया कि 20 वर्षों में, 6,184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया है और उनके 1,175 मछली पकड़ने वाले जहाजों को पड़ोसी देश ने जब्त कर लिया है। उन्होंने कहा, “यह नरेंद्र मोदी सरकार है जो यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि भारतीय मछुआरों की रिहाई हो, हमें एक समाधान ढूंढना होगा। हमें श्रीलंका सरकार के साथ बैठकर इस पर काम करना होगा।