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Katchatheevu Island: कच्चातिवु द्वीप मामले में पीएम मोदी और कांग्रेस आमने सामने, जानें क्यों भड़का मुद्दा

Shubham Pathak • LAST UPDATED : April 1, 2024, 8:13 am IST

India News(इंडिया न्यूज),Katchatheevu Island: देश में आगमी लोकसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय शेष रह गया है। जैसे-जैसे चुनावी तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों के बीच टकरार बढ़ता ही जा रहा है। इसी संदर्भ में अभी पीएम मोदी के द्वारा 1974 में हुए कच्चातीवू द्वीप मामले को उठाया गया और उस द्वीप को श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। जिसके बाद इस मामले में कांग्रेस ने भी पीएम मोदी के आरोपो खंडन करते हुए दावा किया कि, चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी इस मुद्दे को उठा रहे हैं जो उनकी “हताशा” को दर्शाता है।

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पीएम मोदी का आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 1974 में श्रीलंका को सौंपे गए कच्चातिवू द्वीप को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। जहां पीएम मोदी ने कहा कि, कच्चाथीवू द्वीप को सौंपने के कांग्रेस के फैसले ने देश की अखंडता और हितों को “कमजोर” किया है। पीएम मोदी की प्रतिक्रिया सूचना के अधिकार (आरटीआई) रिपोर्ट के बाद आई जिसमें खुलासा हुआ कि कैसे इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने 1974 में रणनीतिक कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। आरटीआई आवेदन तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई द्वारा दायर किया गया था।

कांग्रेस पर आरोप

इसके साथ ही आरटीआई रिपोर्ट को “आंखें खोलने वाली और चौंकाने वाली” बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस कदम से लोग “नाराज” हैं और “कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता”। इसके साथ ही तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने कांग्रेस और एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक पर कच्चाथीवू को श्रीलंका को सौंपने के लिए “मिलीभगत” करने का आरोप लगाया। अन्नामलाई ने कहा, “जब भी कांग्रेस सत्ता में रही, उसे हमारे देश की सीमा, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित रखने में सबसे कम दिलचस्पी थी।

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कांग्रेस प्रमुख का दावा

इसके साथ ही कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि आगामी चुनाव शायद सत्तारूढ़ सरकार के लिए इस मुद्दे को उठाने का “ट्रिगर” था। खड़गे ने कहा, “अपने 10वें साल के कुशासन में आप अचानक क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों के प्रति जाग गए हैं। शायद, चुनाव ही इसका कारण है। आपकी हताशा स्पष्ट है।”

जयराम रमेश ने किया पलटवार

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि एनडीए सरकार के तहत हस्ताक्षरित 2015 समझौते के कारण भारत का भूमि क्षेत्र 10,051 एकड़ कम हो गया। उन्होंने कहा कि 17,161 एकड़ भारतीय क्षेत्र सौंप दिया गया जबकि केवल 7,110 एकड़ ही प्राप्त हुआ। जयराम रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री पर बचकाना आरोप लगाने के बजाय, कांग्रेस पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में विधेयक का समर्थन किया। इसके साथ ही जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री द्वारा कच्चाथीवु के मुद्दे को उजागर करना भाजपा की चुनाव पूर्व रणनीति थी। जयराम रमेश ने कहा, “तमिलनाडु में बिल्कुल शून्य सीटें मिलने का सामना करते हुए, पीएम और उनके ढोल बजाने वाले हताश हो गए हैं।

चुनावी रणनीति बताया

इसके साथ ही जयराम रमेश ने घटनाओं का “कालक्रम” सूचीबद्ध करते हुए आरोप लगाया कि अन्नामलाई ने “तमिलनाडु में ध्यान भटकाने वाला मुद्दा पैदा करने” के लिए आरटीआई आवेदन दायर किया है। कांग्रेस नेता ने कहा, “जबकि सार्वजनिक मुद्दों पर लाखों आरटीआई प्रश्नों को नजरअंदाज कर दिया जाता है या खारिज कर दिया जाता है, इसे वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है और इसका तेजी से जवाब दिया जाता है। वहीं उन्होंने भाजपा पर “मैच फिक्सिंग” का आरोप लगाया और कहा कि अन्नामलाई द्वारा आरटीआई जवाब का खुलासा करने के बाद पीएम मोदी ने इस मुद्दे को बढ़ा दिया।

जयराम रमेश ने बताया कांग्रेस का पक्ष

जयराम रमेश ने भी प्रधान मंत्री के आरोप का प्रतिवाद किया और कहा कि 1974 में – जिस वर्ष कच्चातिवू को श्रीलंका को सौंप दिया गया था – सिरिमा भंडारनायके-इंदिरा गांधी समझौते ने श्रीलंका से 6,00,000 तमिल लोगों को भारत वापस लाने की अनुमति दी थी। कांग्रेस नेता ने कहा, “एक ही कदम में, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने अब तक राज्यविहीन छह लाख लोगों के लिए मानवाधिकार और सम्मान सुरक्षित किया।

चीन के मुद्दो पर उठाया सवाल

वहीं उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत-चीन झड़पों को लेकर भी पीएम मोदी पर हमला किया और कहा, ‘देश की अखंडता के लिए वास्तविक खतरा पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्षेत्र पर चीनी पीएलए का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है। जयराम रमेश ने प्रधान मंत्री पर 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन को “क्लीन चिट देने” का आरोप लगाया, “यह घोषणा करके कि एक भी चीनी सैनिक भारतीय क्षेतमें नहीं आया है – जबकि भाजपा के अपने सांसदों ने हमारी भूमि पर चीनी घुसपैठ की पुष्टि की है।

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