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Kaveri River Dispute: कावेरी नदी के कहर से पूरा बेंगलुरु बंद, जानें कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच का विवाद

Mudit Goswami • LAST UPDATED : September 26, 2023, 1:41 pm IST

India News(इंडिया न्यूज), Kaveri River Dispute: कावेरी जल विवाद पर तमिलनाडु और कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडू राज्य में कावेरी नदी का पानी छोड़ा, जिसके बाद इसे लेकर कार्नाटका के किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया। यही नहीं मंगलवार को इसके विरोध में कार्नाटक की राजधानी बेंगलुरु को किसानों ने एक दिन के लिए बंद करने का ऐलान किया। इसके अलावा कई जगह किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस मामले में तमिलनाडु सरकार का मानना है कि सीएम एम के स्टलिन इस मुद्दे को कूटनीतिक रूप से संभालने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं, कर्नाटक सरकार का तर्क है कि उसके पास अपने पड़ोसी राज्य को भेजने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। कावेरी नदी का पानी ना मिलने पर तमिलनाडु को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि डेल्टा के किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है इस मामले को लेकर तामिलनाडू में भी लगातार आंदोलन किए जा रहे हैं।

केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद कावेरी नदी विवाद को लेकर तमिलनाडू और कर्नाटक की सरकार लगातार कई दौर की मीटिंग कर चुके हैं। कर्नाटक सरकार ने दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी जल विवाद को खत्म करने लिए मेकेदातु संतुलन जलाशय परियोजना को समाधान के रुप में पेश किया है। कर्नाटका के डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार ने कहा, “तमिलनाडु में पहले से ही 3,000 से 3,500 क्यूसेक पानी बह रहा है और इसके साथ ही हम किसानों के हितों और पीने के पानी की आवश्यकताओं की रक्षा करने का भी प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र से हस्तक्षेप करने और दोनों राज्यों के बीच बातचीत कराने का अनुरोध किया है।

सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा मामला

बता दें कि ये मामला सर्वोच्च न्यायालय और CWMA तक भी गया। CWMA ने 18 सितंबर को इस मामले को लेकर कर्नाटक से अगले 15 दिनों तक तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ना जारी रखने को कहा था। इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों राज्यों के आवेदन खारिज कर दिए हैं। SC ने सीडब्ल्यूएमए और सीडब्ल्यूआरसी के 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने वाले फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। बता दें कि जिसके बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।

फैसला आने के बाद तमिलनाडू ने बात चीत से मना किया

वहीं CWMA और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तमिलनाडु सरकार ने कर्नाटक की मांग के अनुसार बातचीत की किसी भी गुंजाइश से मना कर दिया। तमिलनाडू के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने कहा कि वो अपने उचित हिस्से पर कोई समझौता नहीं करेंगे। तमिलनाडू के जल संसाधन मंत्री ने कहा “कावेरी मुद्दे पर बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि वर्षों से चली आ रही बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है।”

इस लिए फिर बड़ा कावेरी मुददा

तमिलनाडु ने कर्नाटक से 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की थी। जिसके बाद कर्नाटक का कहना था कि वह पीने के पानी और सिंचाई की अपनी जरूरतों को ध्यान में रखने के बाद ही तमिलनाडु में नदी का पानी छोड़ सकेगा। कार्नाटका सरकार लगातार इस तथ्य पर जोर दे रही है कि इस बार मानसून से बारिश कम हुई है और जलाशयों में पानी का स्तर खतरनाक रूप से कम है। जिसके बाद यह मुद्दा फिर से भड़क गया है।

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