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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Kejriwal’s Trusted) : केजरीवाल के भरोसेमंद रणनीतिकारों में राघव चड्ढा शामिल है। चड्ढा लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद सीए जैसा प्रतिष्ठित पेशा मात्र 23 वर्ष के उम्र में शुरू की। किसी युवक के लिए इतनी कम उम्र में यह सफलता संतुष्टि का भाव देने के लिए काफी है।
लेकिन तभी भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में हुए अन्ना आंदोलन ने इस युवक को एक नई धारा की ओर मोड़ दिया और वह युवक राजनीति से जुड़ गया। एक दशक पहले वॉलंटियर के रूप में अरविंद केजरीवाल के साथ टीम में शामिल हुए राघव चड्ढा आज उनके सबसे भरोसेमंद रणनीतिकारों में शामिल हैं। आज पार्टी उन्हें सबसे मुश्किल टास्क सौंपती है अब तक वह हर जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निर्वहन करने में सफल भी रहे हैं।
मात्र 34 साल की उम्र में संसद के उच्च सदन का सदस्य बन चुके राघव चड्ढा को पार्टी ने अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे बड़े गढ़ गुजरात में सह प्रभारी बनाकर एक नई जिम्मेदारी सौंपी है। इससे पहले पंजाब में भी राघव ने सह प्रभारी के रूप में काम किया और दिल्ली के बाहर पहली बार किसी राज्य में आप की सरकार बनवाने में उनकी भूमिक अहम मानी जाती है। पहले दिल्ली और फिर पंजाब में राघव चड्ढा ने एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई तो पार्टी में चड्ढा का कद अब काफी ऊंचा हो चुका है।
2015 में ‘आप’ के प्रवक्ता बनाए गए राघव चड्ढा टीवी के भी जानेमाने चेहरा हैं। वह पार्टी को कई आर्थिक और कानूनी मामलों में अपना सलाह देते रहे हैं। कभी पार्टी में सहयोगियों की ओर से ‘चॉकलेट ब्यॉय’ कहे जाने वाले चड्ढा पार्टी के उन नेताओं में शामिल हैं, जो शुरूआत से अब तक अरविंद केजरीवाल के गुड बुक में बने हुए हैं। राघव चड्ढा की पार्टी में पहली पंक्ति के नेताओं में गिनती होती है और माना जाता है कि ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के वह काफी भरोसेमंद हैं।
केजरीवाल ने जो भी काम चड्ढा को सौंपा उसे पूरे लगन से चड्ढा ने उसे निभाया। अब गुजरात में भी सह प्रभारी बनाए जाने के बाद चड्ढा ने कहा कि वह अपनी जान की बाजी लगा देंगे। गुजरात में आप काफी आक्रामक शैली से चुनाव प्रचार में जुट गई है।
इतना ही नहीं भाजपा और कांग्रेस से पहले ही पार्टी ने एक ओर जहां करीब दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है तो वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली, रोजगार, महिलाओं को आर्थिक सहायता जैसे कई वादों के साथ जनता के बीच पार्टी को एक विकल्प के रूप में पेश किया है। ताकि जनता आम आदमी पार्टी को नजरअंदाज नहीं कर सकें।
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