India News(इंडिया न्यूज),Gurpatwant Singh: केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का बड़ा दावा सामने आया है जिसमें केजरीवाल को लेकर कहा गया है कि, खालिस्तान समर्थक सिखों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 16 मिलियन डॉलर दिए थे, जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने उत्पाद शुल्क नीति मामले में गिरफ्तार किया है। जानकारी के लिए बता दें कि, जारी वीडियो में, एसएफजे प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून ने दावा किया कि, केजरीवाल ने 2014 में गुरुद्वारा रिचमंड हिल्स, न्यूयॉर्क में उनके साथ एक बैठक की थी, जहां आप नेता ने कथित तौर पर वित्तीय सहायता के बदले 1993 के दिल्ली विस्फोट के दोषी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को रिहा करने का वादा किया था। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि, केजरीवाल अपने वादों से मुकर गए।
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वहीं इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि अभी नहीं की जा सकी है। जबकि आप की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन पार्टी सूत्रों ने दावों का खंडन करते हुए उन्हें “आधारहीन” बताया गया है। इसके साथ ही पन्नून ने कथित तौर पर “उनके विश्वास को धोखा देने” के लिए केजरीवाल पर जेल में हमला करवाने और उनकी सरकार पर “खालिस्तान समर्थक कुछ सिखों को गैंगस्टर बताकर हत्या करवाने” की परोक्ष धमकी भी दी। उन्होंने वीडियो में चेतावनी दी, “एक बार केजरीवाल को जेल भेज दिया गया, तो जेल में खालिस्तान समर्थक सिख कैदी उनसे पूछताछ करेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार, इस धमकी ने सुरक्षा एजेंसियों को केजरीवाल के तिहाड़ जाने पर उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित कर दिया है। 2014 में, केजरीवाल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर भुल्लर के लिए क्षमादान की मांग की थी। क्या अरविंद केजरीवाल जेल से दिल्ली सरकार चला सकते हैं? AAP ने घोषित की नई योजना | आतिशी ने दी बड़ी कार्रवाई की चेतावनी
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जानकारी के लिए बता दें कि, इससे पहले भटिंडा के दयालपुरा भाईके से आने वाले भुल्लर पर दिल्ली बम विस्फोटों के सिलसिले में सितंबर 1993 में आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया था। 2001 में उसे एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था। जिसको लेकर पन्नून ने इस साल जनवरी में एक धमकी भी जारी की थी कि अगर उसके सहयोगियों को अगले महीने तक रिहा नहीं किया गया तो दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को “राजनीतिक मौत” का सामना करना पड़ेगा।
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