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India News (इंडिया न्यूज),Mamta Kulkarni:ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया है। अब वह सन्यासी बन गई हैं। उन्होंने किन्नर अखाड़े से दीक्षा ली है। आध्यात्मिक मार्ग अपनाते हुए उन्होंने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान किन्नर अखाड़े में सन्यास की दीक्षा ली है। उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया है। ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबानंद गिरि के सानिध्य में महामंडलेश्वर बनेंगी। आज यानी 24 जनवरी की शाम को वह पिंडदान करेंगी और शाम छह बजे उनका पट्टा अभिषेक होगा। इसके बाद से हर तरफ किन्नर अखाड़े की चर्चा हो रही है।
सनातन धर्म से जुड़े 13 प्रमुख अखाड़े हैं। इन्हीं अखाड़ों में से एक है किन्नर अखाड़ा जो सबसे नया अखाड़ा है। इसकी स्थापना के पीछे की कहानी काफी रोचक है। समाज में किन्नरों को बराबरी का दर्जा नहीं था और लोग उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने किन्नरों की पूरी जिंदगी बदल दी। यहीं से किन्नर अखाड़े की स्थापना की कहानी शुरू होती है।
किन्नर समुदाय के लोगों को बराबरी का दर्जा न मिलने की वजह से लोग उन्हें हीन भावना से देखते थे। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में किन्नर समुदाय को भी उनके अधिकार मिले। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2015 में महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने तय किया कि वह सनातन धर्म से जुड़कर किन्नर अखाड़ा बनाएंगे और आदि शंकराचार्य के पदचिन्हों पर चलते हुए सनातन धर्म की पताका फहराएंगे। इसी सोच के तहत 13 अक्टूबर 2015 को किन्नर अखाड़े का गठन किया गया।
VIDEO | Prayagraj: Film actress Mamta Kulkarni to become Mahamandleshwar of Kinnar Akhara at Maha Kumbh.
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/J0lK8Z7fJ4
— Press Trust of India (@PTI_News) January 24, 2025
हरि गिरि महाराज की कृपा से 2016 में पहला कुंभ भी उज्जैन में लगा और 2019 में जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने प्रयागराज में अर्धकुंभ में भी हिस्सा लिया। 2021 में हरिद्वार के कुंभ में भी हिस्सा लिया। अब जब किन्नरों को संतों से सम्मान मिलने लगा तो जनता भी उन्हें सम्मान देने लगी।
सनातन धर्म से जुड़े 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिनमें से सात अखाड़े शैव संप्रदाय से जुड़े हैं, तीन वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हैं जबकि तीन उदासी अखाड़े हैं। किन्नर अखाड़ा भी शैव संप्रदाय से जुड़ा है। इसके पसंदीदा देवता अर्धनारीश्वर और बौचारा हैं, इनकी पूजा करने के बाद ही किन्नर संत कोई भी काम शुरू करते हैं।
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