इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Kisan Andolan Breaking News 2021 : सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रद कर दिया है। जिससे किसानों में खुशी की लहर है। कृषि कानूनों के समाप्त होने के बाद किसान आंदोलन के समाप्त होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों और सरकार केबीच लगातार बातचीत जारी है।
किसानों ने भी सरकार के नरम रूख को देखते हुए जल्द ही आंदोलन को समाप्त करने पर विचार करना आरंभ कर दिया। इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बैठक कर चर्चा भी की गई। लेकिन किसानों को भेजे लिखित प्रस्ताव में एक शर्त से सारी बात फिर बिगड़ गई।
किसान आंदोलन आरंभ होने के 375वें दिन केंद्र सरकार ने किसानों को भेजे प्रस्ताव में लिखा कि आंदोलन खत्म होने और सभी किसानों के घर वापसी के बाद किसानों पर दर्ज सभी मुकद्दमों को वापिस ले लिया जाएगा। जिसके बाद से किसान संगठन फिर से बिफर गए।
किसानों नेहरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में हुए कड़वे अनुभव का हवाला देते हुए सरकार से साफ कह दिया कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकद्दमे वापिस नहीं होंगे तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।
यह कोई पहली बार नहीं है कि सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले वापिस लेनेकी बात कही हो। इससे पहले हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में दर्जनों किसानों पर केस दर्ज हुए। इन दोनों मामलों में भी सरकार ने केस वापिस लेने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सरकार के मुकद्दमेवापिस लेने की बात के बाद किसानों ने आंदोलन वापिस ले लिया था। उसकेबाद भी सरकार नेअपना वादा नहीं निभाया। किसानों के खिलाफ दर्जएक भी केस वापस नहीं हुआ और किसान आज भी तारीखें भुगत रहे हैं। दिल्ली में बैठे किसानों के साथ भी सरकार का मामला इसी बात को लेकर अटका हुआ है।
किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की। संयुक्त किसान मोर्चा की यह बैठक घंटों चली। जिसमें आंदोलन को समाप्त करने पर विचार किया गया। बैठक के बाद किसानों ने सरकार को उनके प्रस्ताव में संशोधन करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है।
इसी के चलते किसानों ने घर वापसी का फैसला बुधवार तक टाल दिया है। किसान नेताओं ने कहा हैकि सरकार किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापिस करने के लिए समय सीमा तय करे। सिर्फ बोल देने से कुछ नहीं होता। सरकार को चाहिए कि इस मांग पर किसानों की बात मानी जाए।
किसान आंदोलन से पहले हरियाणा में वर्ष 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन हुआ था। इस दौरान रोहतक में काफी तोड़फोड़ की वारदातें हुई थी। आंदोलन में कई लोगों पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया था। करीब 70 से ज्यादा किसानों के खिलाफ केस दर्ज हुए थे।
उस समय भी सरकार ने केस वापिस लेने की घोषणा की थी लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया। सरकार की तरफ से जारी कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार जाट आंदोलन मेंतकरीबन 3 हजार केस पेंडिंग है। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी स्पष्ट कहते हैं कि अभी केस वापस नहीं हुए तो जाट आंदोलन की तरह बाद में भुगतना पड़ेगा। तब तो सरकार भी सुनवाई नहीं करती।
किसान आंदोलन को खत्म किए जाने की बात पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह केस वापस ले लेगी। हमने कह दिया कि हम आंदोलन खत्म कर देंगे। ऐसे में सरकार की बात पर भरोसा नहीं हो पाता। टिकैत ने कहा कि किसानों के ट्रैक्टर थानों में खड़े हैं।
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