इंडिया न्यूज़, चंडीगढ़:
किसानों के लिए आज चंडीगढ़ से राहत भरी खबर आई है। यहां मुख्यमंत्री मनोहल लाल खट्टर ने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन के दौरान जो केस दर्ज किए गए थे वह वापस ले लिए गए हैं। बता दें कि किसान दिल्ली की सीमाओं समेत हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों के संघर्ष को विराम देते हुए पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेते हुए किसानों को घर वापसी करने का आग्रह किया था।
क्यों दर्ज हुए थे किसानों पर मामले Haryana government announcement
बता दें कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि बिल बनाए और संसद में पास करते हुए इन्हें कानून बना दिया गया। किसान शुरू से ही इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। लेकिन जब सरकार ने नहीं मानी तो किसानों ने दिल्ली कूच का निर्णय लिया। इस दौरान किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए जगह-जगह पुलिस का सामना करना पड़ा। यही नहीं किसानों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेड को तोड़ दिया गया और वह दिल्ली पहुंच गए। इसी टकराव के बाद हरियाणा सरकार ने किसानों पर 278 मामले दर्ज किए थे,जिन्में से 4 कत्ल के केस थे। जानकारी के लिए बता दें कि इन 272 केसों में से 87 केस वापस ले लिए हैं, 178 मामलों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की जा चुकी है।
बता दें कि पीएम ने किसानों की कृषि कानून रद्द करने की मांग मान ली थी, फिर भी किसान अन्य तीन मांगों के लिए दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए थे। किसानों की केंद्र सरकार से मांग थी कि न्यून्तम समर्थन मुल्य पर पूरे देश में एक कानून बनाया जाए, दूसरा किसानों पर दर्ज मामले वापस किए जाएं। और तीसरा लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दिलाई जाए। ऐसे में अब हरियाणा सरकार ने अपना वादा पूरा करते हुए किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर दी है।
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