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India News (इंडिया न्यूज़), Odisha Rail Accident, दिल्ली: 2 जून की देर शाम, जब ओडिशा के बालासोर में घातक रेल दुर्घटना (Odisha Rail Accident) हुई तो जनता को बहुत कम अंदाजा था कि इसका प्रभाव कितना विनाशकारी होगा। सबसे बड़ी चुनौती भारतीय रेल के लिए थी। राहत अभियान चलाना, लोगों को जिंदा बचाना, मलबा हटाना और रास्ते को फिर से शुरु करना। यह सब रेलवे के लिए बड़ी चुनौती थी।
हादसे के कुछ घंटों के अंदर ही केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पर थे। रेल मंत्री बिना किसी योजना के गए थे ऐसा नहीं था। मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए निश्चित रूप से एक योजना बनाई गई थी जिसमें अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया गया और सबसे अधिक काम ट्रेन को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। जमीन पर काम करने के लिए कम से कम 70 सदस्यों के साथ आठ टीमों का गठन किया गया था। दो टीमों में से प्रत्येक की निगरानी वरिष्ठ अनुभाग अभियंताओं (एसएसई) द्वारा की गई थी। इसके अलावा, एक एसएसई के ऊपक एक डीआरएम और एक जीएम रेलवे के लगाया गया।
डीआरएम को सीधे रेल मंत्रायल में रेलवे बोर्ड के अधिकारी को रिपोर्ट करना था। रेल मंत्रालय के ये अधिकारी जमीन पर काम कर रहे थे। ट्रैक के मरम्मत कार्य में बहुत सारी तकनीकों को लगाया गया। लेकिन यह काम का एकमात्र फोकस नहीं था। दूसरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर था कि जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनके लिए जमीन पर कोई समस्या न हो।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को कटक के अस्पताल को देखने के लिए कहा गया। जबकि डीजी स्वास्थ्य को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया है ताकि इलाज करा रहे यात्रियों को अधिकतम राहत सुनिश्चित की जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, निर्देश हमारे लिए बहुत स्पष्ट थे कि न केवल जमीन पर बचाव और राहत अभियान महत्वपूर्ण है बल्कि अस्पताल में उन लोगों का आराम भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति की निगरानी के लिए भेजा गया था।
रेल मंत्रालय वार रूम से चौबीसों घंटे घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहा था। घटना स्थल लगे चार कैमरों से वरिष्ठ अधिकारी लगातार काम की निगरानी कर रहे थे। एक अनुभवी नौकरशाह से राजनेता बने, भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए आपदा प्रबंधन कोई नई बात नहीं है। 1999 में, बालासोर जिले के कलेक्टर के रूप में, वैष्णव ने महाचक्रवात संकट को संभाला था।
व्यस्त काम और उमस भरा मौसम एक चुनौती थी। रेलवे ने यह सुनिश्चित किया की जमीन पर काम करने वालों को काम पर वापस आने से पहले पर्याप्त ब्रेक और आराम मिले। रविवार की रात जब अप लाइन चलने लगी तो टीम ने राहत की सांस ली। अश्विनी वैष्णव पूरी टीम के साथ 51 घंटे तक जमीन पर रहे और सर्वशक्तिमान की प्रार्थना में हाथ जोड़कर अपना सिर झुका लिया।
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