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जानिए कैसे दुनिया में मोबाइल फोन का हुआ विकास ?

BY: India News Desk • LAST UPDATED : May 7, 2022, 12:08 pm IST
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जानिए कैसे दुनिया में मोबाइल फोन का हुआ विकास ?

इंडिया न्यूज:
पहले के समय में बहुत कम लोग फोन के बारे में जानते थे। वो भी मोबाइल फोन तो इक्का दुक्का के पास होता था। कुछ घरों में सिर्फ लैंडलाइन फोन होते थे। आज के समय में मोबाइल फोन बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की जरूरत बन गया है। अब तो यही स्मार्टफोन हो गया है।

4जी हो गया है। जल्द ही 5जी आने वाला है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि दुनिया में पहला मोबाइल फोन का अविष्कार किसने और कब किया। किस कंपनी ने लांच किया, और इसकी कीमत कितनी थी। पहले मोबाइल फोन का बैटरी बैकअप कितना होता था। भारत में मोबाइल फोन कब आया। तो चलिए जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब।

बताया जाता है कि 70 के दशक में लोग एक-दूसरे से बात करने के लिए टेलीफोन का इस्तेमाल करते थे। लेकिन टेलीफोन पोर्टेबल नहीं होते, यानी इसे एक जगह से दूसरी जगह पर नहीं ले जाया जा सकता। इसी दिक्कत के समाधान के लिए मोबाइल फोन बनाए गए। हालांकि आज इसका इस्तेमाल सिर्फ कॉल करने के लिए ही नहीं बल्कि आॅनलाइन पेमेंट, इंटरनेट ब्राउसिंग, मैप पर रास्ता ढूंढने जैसे हजारों काम के लिए किया जाता है।

मोटोरोला ने लॉन्च किया था पहला मोबाइल?

जानिए कैसे दुनिया में मोबाइल फोन का हुआ विकास

अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर

  • अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर ने 3 अप्रैल सन् 1973 को मोबाइल फोन का आविष्कार किया था। ये वह तारीख है जब मोबाइल फोन दुनिया में सबसे पहली बार इस्तेमाल किया गया। बताया जाता है कि दुनिया का पहला मोबाइल फोन मोटरोला कंपनी ने लांच किया था। इंजीनियर मार्टिन कूपर ने 1970 में मोटरोला कंपनी ज्वाइन की थी। जॉइनिंग के साथ वह वायरलेस काम करने लगे और 1973 यानी मात्र 3 साल में उन्होंने वह कर दिखाया जिसका सपना किसी ने नहीं देखा था।
  • दिलचस्प बात ये है कि मार्टिन कूपर ने सन् 1973 में पहली मोबाइल कॉल अपने सबसे बड़े कॉम्पटीटर और बेल इंडस्ट्री के इंजीनियर जोएल एंगेल को की। मार्टिन ने फोन पर कहा-हमारी कंपनी ने पहला मोबाइल फोन बना लिया है। इसके बाद जोएल ने इस बात का मजाक बनाया और फोन काट दिया। हालांकि मार्टिन के मुताबिक जोएल ने इस कॉल की बात को कभी नहीं स्वीकारा।

पहले मोबाइल फोन का वजन कितना होता था?

मार्टिन कूपर की ओर से बनाये गए पहले मोबाइल फोन का वजन लगभग 2 पाउंड से ज्यादा था। एक बड़ी सी बैटरी को कंधे पर लटका कर चलना पड़ता था। एक बार चार्ज होने के बाद उस मोबाइल से 30 मिनट तक बातें कि जा सकती थी लेकिन उसे दोबारा चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था। 1973 में मोबाइल फोन की कीमत लगभग 2700 अमेरिकी डॉलर (2 लाख रूपए) थी।

बाजार में मोबाइल फोन कब आया?

1973 में लांच हुए पहले मोबाइल फोन को जीरो जेनरेशन (ओजी) मोबाइल फोन कहा जाता था। आविष्कार के 10 साल बाद सन् 1983 में मोटोरोला ने दुनिया में आम जनता के लिए मोबाइल फोन (जिसका नाम-मोटोरोला डायनाटैक 8000) बाजार में लांच किया। ये फोन एक बार चार्ज होने के बाद इससे 30 मिनट तक बातें हो सकती थीं। इसमें 30 मोबाइल नंबर भी सेव किया जा सकता था और उस समय इसका मूल्य 3995 अमेरिकी डॉलर (रु. 2,95,669) रखा गया था।

मोबाइल की अगली जेनरेशन

  • डायनाटैक 8000 की सफलता के बाद मोटोरोला ने 1989 में माइक्रोटैक 9800 लॉन्च किया। ये फोन थोड़ा छोटा था जिससे ये आसानी से जेब में रखा जा सके। साथ ही इस फोन में फ्लिप कवर भी था। 1992 में कंपनी ने इंटरनेशनल 3200 नाम के मॉडल्स लॉन्च किए। इसके साथ मोबाइल फोन के बाजार में मोटोरोला ने अपनी धाक कायम कर ली।
  • 1990 में सोनी, नोकिया और सीमेंस जैसी कंपनियों के फोन भी मार्केट में आने लगे जिससे मोटोरोला की डिमांड कम हो गई। सितंबर 1995 में मार्केट में कंपनी की हिस्सेदारी 32.1फीसदी तक घट गई थी।

भारत में पहली मोबाइल सेवा किसने शुरू की

भारत में मोबाइल सेवा की शुरुआत वर्ष 1994 के मध्य से ही भारत के उद्यमी भूपेन्द्र कुमार मोदी की ओर से जाने लगा था। उन्हीं की कंपनी मोदी टेलीस्ट्रा ने देश में पहली बार मोबाइल सेवा प्रारंभ की। पहला मोबाइल कॉल इसी कंपनी के नेटवर्क (जिसे मोबाइल नेट कहा जाता था) पर कोलकता से दिल्ली किया गया था। इसी कंपनी को आगे चलकर स्पाइस मोबाइल्स के नाम से जाना गया।

भारत में मोबाइल फोन की शुरुआत कब हुई?

भारत में मोबाइल फोन की शुरुआत दुनिया के पहले मोबाइल (मोटोरोला डायनाटैक 8000) बनने के 12 साल बाद 31 जुलाई सन् 1995 को हुई। दूरसंचार सेवाओं के विस्तार के लिए भारत में 20 फरवरी 1997 में ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी आॅफ इंडिया) की स्थापना की गयी।

नोकिया का पहला फोन का लॉंच हुआ

  • नोकिया का पहला फोन मोबिरा सिटीमैन 900 था। 1987 में बाजार में आने के बाद धीरे-धीरे नोकिया ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। 1993 में नोकिया ने नोकिया 1011 फोन लॉन्च किया जो पहला जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल्स) फोन था। इसके साथ ही मोबाइल के जरिए टेक्स्ट मैसेज भेजने की शुरूआत हुई। हालांकि, इसकी लिमिट सिर्फ 160 कैरेक्टर ही थी।
  • जनवरी 1999 तक नोकिया ने मोटोरोला को पीछे कर दिया। उस समय शेयर मार्केट में नोकिया की 21.4फीसदी हिस्सेदारी थी, जबकि मोटोरोला की शेयर वैल्यू 20.8 फीसदी थी। 1990 में ही नोकिया ने नोकिया 7110 फोन लॉन्च किया। ये दुनिया का पहला फोन था जिसमें वेब ब्राउसर था।

क्यों फेल हो गई मोटोरोला और नोकिया कंपनियां ?

किसी जमाने में मोबाइल की दुनिया में 2 सबसे बड़ी कंपनियां रहीं नोकिया और मोटोरोला नई तकनीक आने के साथ मार्केट से गायब होने लगीं। इसके पीछे कई वजहें रहीं।

  • कुछ नया करने में विफल: नोकिया वो कंपनी थी जिसने कैमरा और 3जी जैसे तकनीक को मोबाइल से जोड़ा। वहीं मोटोरोला ने भी एमपी3 प्लेयर को फोन में इंस्टॉल किया। जब इन कंपनियों के फोन की डिमांड बढ़ने लगी तो इनका ध्यान नई तकनीक इजाद करने की जगह ज्यादा से ज्यादा फोन बनाने पर चला गया। इसका फायदा उठाकर नोकिया और मोटोरोला के बाजार पर सैमसंग, माइक्रोमैक्स, एपल और शाओमी जैसी कंपनियों ने कब्जा कर लिया।
  • स्मार्टफोन की दुनिया में हुई फेल: नोकिया और मोटोरोला जैसी कंपनियां स्मार्टफोन बनाने में भी फेल हो गईं। जब पूरी दुनिया में स्मार्टफोन खरीदने की होड़ थी तब नोकिया नॉर्मल कीपैड फोन ही बनाती रही। हालांकि कंपनी ने एन97 के रूप में नया आॅपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया लेकिन एपल के आईओएस और सैमसंग के एंड्रॉयड के आगे ये टिक नहीं सका। साथ ही कंपनी ने 2011 में माइक्रोसॉफ्ट के साथ भी पार्टनरशिप की लेकिन विंडोज के ऐप स्टोर पर कम ऐप होने के चलते ये पार्टनरशिप भी फेल हो गई।
  • समय के साथ नहीं बदली कंपनियां: 21वीं सदी में मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली तकनीक में कई बड़े बदलाव हुए। आईफोन के साथ ही मोबाइल के सॉफ्टवेयर पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। मोटोरोला और नोकिया जैसी कंपनियों ने हार्डवेयर में तो महारत हासिल कर ली लेकिन वे फोन के सॉफ्टवेयर को विकसित नहीं कर पाईं।

आईओएस और एंड्रॉयड के साथ मार्केट में आए स्मार्टफोन

जानिए कैसे दुनिया में मोबाइल फोन का हुआ विकास

एपल की सफलता के साथ ही 2008 में दुनिया का पहला एंड्रॉयड फोन एचटीसी ड्रीम भी लॉन्च हुआ। इसके बाद दुनियाभर में स्मार्टफोन का दौर शुरू हो गया। मोटोरोला और नोकिया जैसी कंपनियां फोन की बदलती तकनीक के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाईं। आईफोन लॉन्च होने के दो साल यानी 2009 में ही एपल कंपनी की मोबाइल फोन के बाजार में 17.4फीसदी हिस्सेदारी हो गई। वहीं, मोटोरोला का हिस्सा घटकर 4.9 फीसदी रह गया।

कैसे बदला फोन का बाजार

2007 में सैन फ्रांसिस्को में मैकवर्ल्ड एक्स्पो के दौरान एपल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने आईफोन को तीन अलग-अलग डिवाइस की फीचर्स वाले एक फोन के तौर पर लॉन्च किया। इसमें कॉलिंग और इंटरनेट दोनों की सुविधा थी। साथ ही इसमें पहली बार आईपौड की तर्ज पर टचस्क्रीन की सुविधा दी गई। 2008 में एपल ने अपना ऐप स्टोर लॉन्च किया। इसकी मदद से लोग अपनी पसंद के ऐप्स और गेम्स फोन में डाउनलोड करने लगे।

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