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Derogatory Language of Leaders: नेताओं के बिगड़े बोल पर कंट्रोल के लिए किस पर एक्शन होना चाहिए?-Indianews

BY: Shanu kumari • LAST UPDATED : April 26, 2024, 7:59 pm IST
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Derogatory Language of Leaders: नेताओं के बिगड़े बोल पर कंट्रोल के लिए किस पर एक्शन होना चाहिए?-Indianews

Derogatory Language of Leaders

India News (इंडिया न्यूज), Derogatory Language of Leaders: लोकसभा चुनाव का आज (शुक्रवार) दूसरा चरण पूरा हुआ है। जिसमें 88 सीटों पर मतदान हुएं। मिल रही जानकारी के मुताबिक शाम पांच बजे तक लगभग 60 प्रतिशत मतदान पड़ें। वहीं चुनाव की तैयारी में जुटे नेता लगातार चुनावी रैली और सभाएं संबोधित कर रहे हैं। जिसके दौरान अपमानजनक भाषा का भी उपयोग किया जा रहा है।

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वहीं भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मशहूर शायर बशीर बद्र के शायरी को दोहराते हुए सभी पार्टियों के स्टार प्रचारक को हेट स्पीच के लिए चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि दुश्मनी पुरी करो लेकिन यह गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हों जाएं तो शर्मिंदा ना हों। नेताओं के अपमानजनक भाषा को लेकर इंडिया न्यूज ने अपने प्राइम टाइम शो में सर्वे कराया है। जिसके परिणाम कुछ इस प्रकार हैं।

जनता की राय

  1. चुनावी रैलियों में बड़े नेताओं की अपमानजनक भाषा पर आपकी राय क्या है ?
  • बेहद शर्मनाक- 35%
  • ध्रुवीकरण की कोशिश- 9%
  • भड़काऊ एजेंडा- 50%
  • कह नहीं सकते- 6%

2. चुनावी मंचों से किस नेता को अपनी भाषा पर संयम रखने की ज़्यादा ज़रूरत है ?

  • नरेंद्र मोदी- 21%
  • राहुल गांधी- 28%
  • ममता बनर्जी- 5%
  • ओवैसी- 6%
  • सभी नेता- 40%
  • कह नहीं सकते- 0%

3. नेताओं के बिगड़े बोल पर कंट्रोल के लिए किस पर एक्शन होना चाहिए ?

  • नेता पर एक्शन-50%
  • पार्टी अध्यक्ष पर एक्शन- 21%
  • चुनाव अधिकारी पर एक्शन- 26%
  • कह नहीं सकते- 3%

4. क्या चुनाव आयोग बिगड़े बोल पर लगाम लगा पाने में सक्षम नज़र आ रहा है ?

  • हाँ- 36%
  • नहीं- 50%
  • एक्शन में देरी- 11%
  • कह नहीं सकते- 3%

5. चुनावी मंचों से किस तरह के भाषण का असर वोटर पर सबसे ज़्यादा होता है?

  • आक्रामक भाषण- 19%
  • भावुक भाषण- 30%
  • तथ्यात्मक भाषण- 17%
  • मज़हबी भाषण- 20%
  • कह नहीं सकते- 14%

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