Modi Surname Case Timeline: मोदी सरनेम विवाद को लेकर सुप्रिम कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। माननीय न्‍यायालय ने फैसला सुनातेे हुए राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई है। जज ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा हम सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा रहे हैं। कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिलने पर कांग्रेस ने कहा, यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। राहुल गांधी के वकिल अभिषेक मनु सिंघवी ने कार्ट में पक्ष रखते हुए हुए कहा कि इस मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सज़ा दे दी गई तो राहुल गांधी 8 साल तक जनप्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे, उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया हाईकोर्ट ने 66 दिन तक आदेश सुरक्षित रखा। राहुल लोकसभा के 2 सत्र में शामिल नहीं हो पाए हैं।

क्या है मोदी सरनेम विवाद?

13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के एक चुनावी भाषण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के साथ भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी और ललित मोदी का जिक्र करते हुए कहा था कि सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है। जिसके बाद गुजरात भारतीय जनता पार्टी के नेता पूर्णेश मोदी ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने शिकायत दर्ज की जिसमें राहुल गांधी पर मोदी सरनेम के लोगों और जातियों को बदनाम करने का आरोप लगाया गया।

पूर्णेश मोदी ने सूरत की अदालत में ये कहा कि राहुल ने उन सभी लोगों का अपमान किया है जो मोदी समाज-मोधवानिक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. मोदी उपनाम वाले लोग पूरे भारत में पाए जाते हैं। इसी बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था।

23 मार्च को दोषी ठहराया

23 मार्च 2023 को निचली आदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्तया चली गयी थी। इसके बाद राहुल गांधी को अपनी सरकारी बंगले को भी छोड़ना पड़ा था। निचली आदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देने से इंकार कर दिया था।

15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका

7 जुलाई को गुजरात हाईकार्ट से राहत नहीं मिलने के बाद राहुल गांधी ने 15 जुलाई को राहुल गांधी ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी । याचिका दायर करने के बाद सुप्रिम कोर्ट में 21 जुलाई को सुनवाई की इसके बाद
2 अगस्त को इस केस में सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई थी। पहली सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।

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