India News (इंडिया न्यूज़), RBI: लोकसभा चुनाव से पहले SBI द्वारा जारी किए गए चुनावी बांड डेटा ने देश में काफी बवाल मचाया। विपक्षी पार्टियों द्वारा सरकार पर पार्टी को मिल रहे चंदा और उन्हें छुपाने की नाकाम कोशिश के गंभीर आरोप लगाए गएं। जिसके बाद आज (शुक्रवार) यह मामला RBI में तक पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास से भी इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सवाल पूछे गए।
- चुनावी बांड पर, हमारी कोई टिप्पणी नहीं
- कुल संपत्ति से अधिक योगदान मुद्दा आरबीआई के क्षेत्र में नहीं
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
इलेक्टोरल बॉन्ड पर सवाल पूछे जाने पर गर्वनर ने इसपर कोई भी टिप्पणी देने से इनकार दिया। उन्होंने यह बात कहते हुए जबाव दिया कि यह मामला अदालत का फैसला है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि चुनावी बांड पर, हमारी कोई टिप्पणी नहीं है। यह सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है। जिसका अनुपालन किया जाना है और यह निर्णय के अनुरूप है। भारतीय स्टेट बैंक ने आवश्यक कार्रवाई की है। यह मुद्दा कि किसने अपनी कुल संपत्ति से अधिक योगदान दिया है। आरबीआई के क्षेत्र में नहीं है।”
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BJP सबसे बड़ी लाभार्थी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 15 फरवरी को पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को “असंवैधानिक” करार दिया था। जिसके बाद SBI को फंडिग के विवरण का खुलासा करने के लिए कहा गया था। जिसके बाद बैंक द्वारा डेटा सार्वजनिक किया गया। जारी किए डेटा के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी चुनावी बांड योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी है। BJP को पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक दान के रूप में 6,061 करोड़ रुपये मिले हैं। वहीं ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 1,610 करोड़ मिले। उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 1,422 करोड़ मिले।