India News (इंडिया न्यूज), Kolkata Rape Murder Case: सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के आवास पर छापेमारी के दौरान संस्थान में विक्रेताओं को ठेके दिए जाने से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं। इन दस्तावेजों से पता चला है कि संदीप घोष अन्य सह-आरोपियों के साथ सांठगांठ का हिस्सा थे, जिससे सरकार को नुकसान हुआ। सीबीआई ने 3 सितंबर को कोलकाता की एक अदालत के समक्ष ये दलीलें दीं। जब उसने आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में डॉ. घोष और तीन अन्य – बिप्लब सिंह, सुमन हाजरा और अफसर अली – की हिरासत की मांग की।
केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, विक्रेता बिप्लब सिंह और सुमन हाजरा डॉ. घोष के करीबी सहयोगी थे और 2016-18 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में उनकी तैनाती के समय से ही उन्हें जानते थे। डॉ. घोष को आरजी कर अस्पताल का प्रिंसिपल बनाए जाने के बाद, वे विक्रेताओं को कोलकाता ले आए और सामग्री की आपूर्ति जारी रखी। सीबीआई ने पाया है कि डॉ घोष द्वारा निविदा प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी। मां तारा ट्रेडर्स का स्वामित्व और संचालन बिप्लब सिंह के पास था, जबकि सुमन हाजरा हाजरा मेडिकल के मालिक थे। सीबीआई ने पाया कि चिकित्सा आपूर्ति के अलावा, हाजरा मेडिकल को सोफा और रेफ्रिजरेटर के लिए भी अनुबंध प्राप्त हुए थे।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाजरा मेडिकल को कई ऐसे अनुबंध दिए गए, जिनका चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति से कोई संबंध भी नहीं था। जिसमें सोफा सेट और रेफ्रिजरेटर जैसे सामान शामिल हैं। प्रथम दृष्टया जांच से पता चला है कि डॉ संदीप घोष के साथ गठजोड़ में शामिल होने के बाद, सुमन हाजरा का कारोबार 2021-22 से तीन गुना बढ़ गया। दरअसल, सीबीआई जांच में पाया गया कि बिप्लब सिंहा मां तारा ट्रेडर्स, मेसर्स बाबा लोकनाथ, तियाशा एंटरप्राइजेज सहित कई फर्मों को नियंत्रित और संचालित करते थे। ये फर्म या तो बिप्लब या उनके दोस्तों या परिवार के सदस्यों द्वारा संचालित की जाती थीं। सिन्हा इन फर्मों के माध्यम से निविदाओं में भाग लेते थे।
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