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Kurukshetra Gita Mahotsav: कुरुक्षेत्र में हो रहा अंतरराष्ट्रीय उत्सव, जानें क्यों यह भूमि है श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ

Kurukshetra Gita Mahotsav: 15 नवंबर को कुरुक्षेत्र में शुरू हुआ इंटरनेशनल गीता महोत्सव 5 दिसंबर को खत्म होगा. जानें कि कुरुक्षेत्र की धरती भक्तों के लिए तीर्थ स्थल क्यों मानी जाती है.

Written By: Shivashakti narayan singh
Last Updated: November 27, 2025 22:45:44 IST

Kurukshetra Gita Mahotsav: हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आध्यात्मिक माहौल इस समय अपने चरम पर है. 15 नवंबर, 2025 को इंटरनेशनल गीता महोत्सव के उद्घाटन के साथ ही देश और दुनिया भर से लाखों भक्त इस पवित्र धरती पर पहुंच रहे हैं. यह महोत्सव 5 दिसंबर, 2025 को खत्म होगा.

कुरुक्षेत्र को गीता उपदेश की जन्मभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. 

कुरुक्षेत्र गीता उपदेश की जन्मभूमि है

कुरुक्षेत्र को गीता उपदेश की जन्मभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए, इस जगह का धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि जैसे ही कोई भक्त यहां कदम रखता है, उसका दिल दिव्यता से भर जाता है. इस पवित्रता और अनंत ज्ञान को लोगों तक फैलाने के मकसद से हर साल गीता महोत्सव मनाया जाता है.

21 दिन तक चलेगा महोत्सव

हर साल, कुरुक्षेत्र में गीता महोत्सव 18 दिनों तक चलता था, जो 18 अध्यायों वाले महाभारत और 18 दिन लंबे महाभारत युद्ध से प्रेरित था. लेकिन, इस साल, इस महोत्सव को 21 दिनों तक बढ़ा दिया गया है.

तीर्थस्थल

कुरुक्षेत्र की धरती को धर्मभूमि या धर्मक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत युद्ध से ठीक पहले, भगवान कृष्ण ने यहीं अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था. इस उपदेश ने अर्जुन का मोह दूर किया और उसे युद्ध के लिए प्रेरित किया. गीता की शिक्षाएं आज भी इंसानियत को जीवन का सबक सिखाती हैं, कर्म, धर्म, ज्ञान और भक्ति का शाश्वत संदेश देती हैं.

कुरुक्षेत्र एक पुण्यभूमि

शास्त्रों में, कुरुक्षेत्र की मिट्टी को ‘पुण्यभूमि’ (पवित्र भूमि) कहा गया है क्योंकि यह वह जगह है जहां भगवान कृष्ण ने खुद धर्म की स्थापना के लिए दिव्य मार्गदर्शन दिया था. कुरुक्षेत्र में देवी-देवताओं को समर्पित कई पवित्र झीलें और मंदिर भी हैं (ब्रह्म सरोवर, भीष्म कुंड, स्थानेश्वर महादेव मंदिर, ज्योतिसर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, वगैरह). ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में नहाने और दान करने से तीर्थयात्रा के बराबर फल मिलता है.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. INDIA News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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