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Lakhimpur Kheri Violence
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Lakhimpur Kheri Violence तीन अक्टूबर को शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर भाजपा नेता द्वारा गाड़ी चढ़ाने के मामले और उसके बाद फैली हिंसा केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लगातार चल रही है। सोमवार को सुप्रीम कोट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर दायर एक स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच की प्रगति को लेकर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि यह हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि और गवाहों से पूछताछ की गई है।
कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने का सुझाव दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यूपी सरकार से पूछा कि केवल आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों जब्त किया गया है और दूसरों के क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि केस में सबूतों का कोई घालमेल न हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं।
ज्ञात रहे कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें सूचना मिली की स्थानीय भाजपा नेता का काफिला वहां नजदीक सड़क मार्ग से गुजरने वाला है। इसके बाद किसान काफी संख्या में सड़क पर आकर बैठ गए। जिसके बाद उन्होंने वहीं प्रदर्शन शुरू कर दिया। जब भाजपा नेता का काफिला आया तो गाड़ी प्रदर्शन कर रहे किसानों पर चढ़ा दी गई।
इसमें चार किसानों की मौत हो गई। इसके बाद हुई हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार व कुछ अन्य लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद पूरे देश में किसानों में रोष फैल गया और सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने इसका विरोध जताया। दवाब में आई यूपी पुलिस और सरकार ने भाजपा नेता व केंद्रीय राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्र व कुछ अन्य को इस केस में गिरफ्तार किया। उसके बाद से केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।
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