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'बिजली के झटके…कोड़े मारते थे', जॉब के लिए गए भारतीयों के साथ क्रूरता की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जाएंगे आपके

Ankita Pandey • LAST UPDATED : September 11, 2024, 3:17 pm IST

NIA Chargesheet

India News (इंडिया न्यूज), Laos Indian Youth : लाओस में भारतीय युवकों के साथ अमानवीय व्यवहार के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। भारतीयों को बिजली के झटके दिए गए और अगर वे अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए तो उन्हें भूखा भी रखा गया। दरअसल, इन भारतीय युवकों को तस्करी करके लाओस लाया गया था। उन्हें सोशल मीडिया पर संभावित पीड़ितों से दोस्ती करने का लक्ष्य दिया गया था। अगर वे अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए तो उन्हें बिजली के झटके दिए गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को इस हाई-प्रोफाइल मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में चार्जशीट दाखिल की।

निजी कमरों में भूखा रख कोड़े मारते थे

लाओस स्थित लॉन्ग शेंग कंपनी के सीईओ सुदर्शन दराडे के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि भारतीय युवकों को निजी कमरों में भूखा रखने और कोड़े मारने जैसी अमानवीय सजाएं भी दी जाती थीं। भारत भर से सैकड़ों युवाओं को लाओस में उच्च-स्तरीय नौकरियों का लालच दिया गया, जहां उन्हें साइबर अपराध में धकेला गया। इस मामले में सुदर्शन दराडे को मुख्य आरोपी बनाया गया है।

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एनआईए मुंबई ने गिरफ्तार किया

दराडे नासिक का रहने वाला है और उसे इस साल जून में एनआईए मुंबई ने गिरफ्तार किया था। दराडे इस मामले में चार्जशीट किए जाने वाले छठे आरोपी हैं और जेरी जैकब और गॉडफ्रे अल्वारेज के बाद गिरफ्तार होने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। मामले में दो विदेशी नागरिकों सहित तीन और लोगों को फरार घोषित किया गया है। एनआईए ने दराडे के मोबाइल फोन से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है। दराडे ने फरार आरोपियों सनी गोंजाल्विस, विदेशी नागरिक निउ निउ और एल्विस डू के बारे में एनआईए को जानकारी दी है।

व्हाट्सएप इंटरव्यू के सहारे लेती थी

जांच में पता चला है कि दराडे की कंपनी लॉन्ग शेंग लाओस के बोकेओ प्रांत में स्थित है। यह बैंकॉक के रास्ते युवा भारतीयों को गोल्डन ट्राइंगल लाओस पीडीआर में तस्करी करके लाती थी। कंपनी युवाओं से व्हाट्सएप इंटरव्यू लेती थी और उन्हें नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र भेजती थी। दराडे के निर्देश पर जैकब इन युवाओं को गोल्डन ट्राइंगल लाओस ले जाने की व्यवस्था करता था। लेकिन जब ये युवा लाओस पहुंचते थे, तो उन्हें क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता था।

बंद कमरे में भूखा रखते थे

जांच में यह भी पता चला है कि साइबर फ्रॉड करने से मना करने वाले युवाओं को बंद कमरे में भूखा रखा जाता था और कोड़े मारे जाते थे। यहां तक ​​कि जो लोग सोशल मीडिया पर संभावित शिकार बनने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाते थे, उन्हें बिजली के झटके दिए जाते थे। इस मामले ने न केवल साइबर फ्रॉड बल्कि मानव तस्करी और युवाओं के साथ किए जाने वाले अमानवीय व्यवहार की गंभीरता को भी उजागर किया है। एनआईए मामले की आगे की जांच कर रही है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

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