India News (इंडिया न्यूज), Lawrence Bishnoi Love Story: एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई इन दिनों चर्चा में है। लॉरेंस के साथ ही एक लड़की भी इन दिनों चर्चा में है जिसे साल 2010 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में जिंदा जला दिया गया था। दावा किया जा रहा है कि यह लड़की कोई और नहीं बल्कि लॉरेंस बिश्नोई की गर्लफ्रेंड थी। यह भी कहा जा रहा है कि इस घटना के बाद लॉरेंस बिश्नोई ने पढ़ाई छोड़ दी और संपत नेहरा और गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर गैंग बना ली। इस गैंग ने एक छात्र नेता की हत्या के साथ ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था। इस घटना में लॉरेंस बिश्नोई ने खुद को गोली मार ली थी।
इस संदर्भ में हम उस लड़की और उस घटना का जिक्र करेंगे, जिसकी वजह से लॉरेंस की पूरी जिंदगी बदल गई। आपको बता दें कि लॉरेंस बिश्नोई का जन्म पंजाब के फिरोजपुर के एक संभ्रांत किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे। हालांकि, कुछ दिनों बाद ही उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और खेती-बाड़ी करने लगे। लॉरेंस की उम्र महज चार या पांच साल रही होगी, जब उनके पिता ने उनका एडमिशन अबोहर के एक कॉन्वेंट स्कूल में करा दिया। यहां लॉरेंस की क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की से उनकी नजदीकियां बढ़ गईं।
12वीं क्लास तक साथ-साथ पढ़ने के बाद संयोग से दोनों के पिता ने उनका एडमिशन चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में करा दिया। यहां पढ़ाई के दौरान लॉरेंस को राजनीति का चस्का लग गया और उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा। इ चुनाव में लॉरेंस के प्रचार में यह लड़की सबसे आगे थी। वहीं, जब लॉरेंस चुनाव हार गए, तो उनका जीतने वाले उम्मीदवार से झगड़ा हो गया। आए दिन झगड़े होने लगे। इसी बीच दूसरे पक्ष के लोगों ने लड़की को कॉलेज कैंपस में ही जिंदा जला दिया। इस घटना से लॉरेंस बिश्नोई को गहरा सदमा लगा और वह सदमे में चले गए।
उस समय लॉरेंस बिश्नोई को अपने कॉलेज के दोस्तों संपत नेहरा और गोल्डी बरार का साथ मिला। फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इन तीनों ने दूसरे ग्रुप के लीडर को सरेआम और कॉलेज कैंपस में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और फिर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद लॉरेंस, संपत और गोल्डी ने पढ़ाई छोड़ दी और खुलेआम अपराध की दुनिया में उतर गए। इन तीनों ने जबरन वसूली को अपना मुख्य धंधा बना लिया। जो भी उद्योगपति रंगदारी देने से मना करता, उसे ये पहले धमकाते और फिर दिनदहाड़े उसका अपहरण कर हत्या करना शुरू कर देते।
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इन तीनों ने बहुत कम समय में चंडीगढ़ से बाहर अपने गैंग का विस्तार किया, पहले हरियाणा-पंजाब और फिर दिल्ली में। महज चार साल में दिल्ली के सभी गैंगस्टर इनकी छत्रछाया में आ गए। इसके बाद इस गैंग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में भी सौ से ज्यादा वारदातों को अंजाम दिया। यह अपराधी 31 साल का है और करीब 8-9 साल से देश की एक जेल से दूसरी जेल के चक्कर काट रहा है। फिलहाल गुजरात पुलिस उसे ले गई और उसे साबरमती जेल में रखा गया है। हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने दावा किया है कि उसके गिरोह में 700 से ज्यादा शूटर हैं।
हालांकि लॉरेंस के करीबियों की मानें तो उसके गिरोह में मुश्किल से 8-9 शूटर हैं। इनमें से ज्यादातर अलग-अलग जेलों में हैं और वहीं से गिरोह को संचालित कर रहे हैं। दरअसल, इस गिरोह ने करीब 5 साल पहले अपराध का पैटर्न बदल दिया था। तब से इस गिरोह के लोग खुद कोई अपराध करने की बजाय अलग-अलग जगहों पर नए शूटर हायर करते हैं। इसके बाद ये इन शूटरों को अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रेनिंग देते हैं और अपराध के बाद ये अपना हिसाब-किताब चुकता करके अलग-अलग रास्ते पर निकल जाते हैं। कई बार इस गिरोह ने एक ही शूटर को दो या उससे ज्यादा अपराधों के लिए हायर किया है
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