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जानें किन वजहों से नींबू की कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड Lemon Prices Broke Records

जानें किन वजहों से नींबू की कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड Lemon Prices Broke Records

भारत में महंगाई दिन प्रतिदिन रिकॉर्ड तोड़ रही है। इस महंगाई से किचन का बजट भी बिगड़ रहा है। वहीं फलों और सब्जियों की कीमतों में अधिक इजाफा हुआ है। उधर गर्मी के दिनों में जब नींबू की जरूरत सबसे ज्यादा होती है, तो रिकॉर्ड तोड़ कीमतों की वजह से नींबू आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। तो आइए जानते हैं क्या है नींबू के दाम बढ़ने की वजह। किस शहर में कितने में बिक रहा है नींबू।

आपको बता दें कि पिछले 15 दिनों से देश में नींबू के दामों में तेजी से उछाल आया है। देश के ज्यादातर शहरों में नींबू 250-400 रुपए किलो तक बिक रहा है और उसकी रिटेल कीमत 10-15 रुपए प्रति नींबू तक पहुंच गई है। राजधानी दिल्ली में नींबू करीब 250-300 रुपए प्रति किलोग्राम में बिक रहा है।

भारत में नींबू की कितनी है पैदावार?

  • भारत में नींबू 3.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। आमतौर पर नींबू के पेड़ साल में तीन बार फल देते हैं। आंध्र प्रदेश देश में सबसे बड़ा नींबू उत्पादक राज्य है, जहां 45 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में नींबू उगाया जाता है। इसके बाद सर्वाधिक नींबू उगाने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु का नंबर है। नींबू की देश में मुख्यत दो कैटेगरी होती है- लेमन और लाइम। छोटा, गोल और पतले छिलके वाला कागजी नींबू देश भर में सबसे आम वैराइटी है।
  • लाइम कैटेगरी में गहरे हरे रंग के नींबू आते हैं, जिनका उत्पादन कॉमर्शियल उद्देश्य से मुख्यत उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में होता है। सालाना भारत में 37 लाख टन से ज्यादा नींबू का उत्पादन होता है, जिसका पूरी खपत देश में ही हो जाती है। भारत नींबू का न तो आयात करता है और न ही निर्यात।

भारत में इन कारणों से बढ़े नींबू के दाम  (Lemon Prices Broke Records)

बेमौसम बरसात से नींबू की फसल प्रभावित

  • देश में गर्मियों में नींबू के रिकॉर्ड तोड़ने की प्रमुख वजह ज्यादा बारिश और ज्यादा तापमान की वजह से उसका कम उत्पादन है। बेमौसम बरसात, साइक्लोन और ज्यादा गर्मी ने नींबू के टॉप-3 उत्पादक राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में नींबू की फसल को प्रभावित किया। मौसम की वजह से ही नींबू के लगातार दो सीजन हस्त बहार और उसके बाद आने वाले अंबे बहार फेल हो गए। इससे नींबू का उत्पादन में गिरावट आई।
  • फरवरी के अंत से बढ़ते हुए तापमान की वजह से भी नींबू की फसल प्रभावित हुई, जिससे नींबू के छोटे फल गिर गए। आमतौर पर गर्मियों में जब नींबू की मांग साल में सबसे ज्यादा होती है, तो स्टोर किए गए हस्त बहार और ताजा अंबे बहार नींबू से ही सारी मांग पूरी होती है, लेकिन इस बार इन दोनों सीजन के प्रभावित होने से उत्पादन में कमी आई।

बढ़ते तापमान और त्योहारों ने बढ़ाई मांग (Lemon Prices Broke Records)

इस मार्च महीने में ही तापमान मई जैसा हो गया था और औसत तापमान 38-40 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच गया था। इससे नींबू की मांग जल्द और ज्यादा बढ़ी। फरवरी-मार्च में ही तापमान ज्यादा बढ़ने से नींबू की पैदावार पर भी असर पड़ा। हिंदुओं के त्योहार नवरात्रि और मुस्लिमों के रमजान के दौरान भी नींबू की मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन में कमी की वजह से ये मांग पूरी नहीं हो पाने से भी नींबू की कीमतें आसमान छूने लगीं।

गुजरात में पिछले साल आए साइक्लोन ने बढ़ाई मुश्किलें

कहा जा रहा है कि गुजरात में पिछले साल आए साइक्लोन की वजह से भी नींबू का उत्पादन प्रभावित हुआ। गुजरात में देश की कुल नींबू उपज का 17फीसदी से ज्यादा पैदा होता है और वह आंध्र प्रदेश के बाद नींबू उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर है। ऐसे में साइक्लोन की वजह से गुजरात में नींबू उत्पादन प्रभावित होने का असर नींबू की कीमतों के बढ़ने के रूप में सामने आया।

देश में तेल की कीमतों में बढ़ौतरी

देश में 22 मार्च के बाद से पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों में बढ़ौतरी हो रही है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 रुपए/लीटर तक की बढ़ौतरी हो चुकी है। नींबू की कीमत बढ़ने में काफी हद तक तेल और सीएनजी की कीमतों के बढ़ने का भी योगदान है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ौतरी से नींबू के ट्रांसपोर्टेशन के खर्च में प्रति ट्रक 24 हजार रुपए तक का इजाफा हुआ है। नींबू की ढुलाई महंगा होने का असर, नींबू की कीमतों में दिख रहा है।

नींबू के दामों में गिरावट आने की उम्मीद कब तक?

  • नींबू की कीमतों में तुरंत गिरावट आने की उम्मीद कम ही है। हालांकि, आने वाले दिनों में इसमें कुछ कमी आने की उम्मीद है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में नींबू की कीमतों में गिरावट आई है। इसकी वजह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना से भेजे जा रहे नींबू हैं, जो आमतौर पर मई के अंत में आते हैं, लेकिन इस बार ज्यादा मांग और सप्लाई में कमी की वजह से वहां से नींबू जल्दी भेजे जा रहे हैं।
  • वैसे तो ये नींबू हरे हैं, यानी अभी पके भी नहीं है, लेकिन इनके आने से कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद जगी है। इससे अगले कुछ दिनों में नींबू की कीमतों में कुछ गिरावट आ सकती है। वहीं जानकारों कहना है कि नींबू की कीमतों के पूरी तरह अक्टूबर तक ही सामान्य होने की उम्मीद है। क्योंकि अब नींबू की अगली फसल अक्टूबर तक ही तैयार होगी। उसके बाद ही नींबू की आवक में सुधार होगा। साथ ही अभी उन इलाकों से अंबे बहार सीजन वाले नींबुओं के भी आने की उम्मीद है, जहां नींबू के उत्पादन में मौसम की ज्यादा मार नहीं पड़ी थी।

सर्वाधिक नींबू पैदावर करने वाले टॉप राज्य कौन से हैं

भारत में सबसे अधिक नींबू की पैदावार करने वाले टॉप राज्य गुजरात, महाराष्टÑ, आंध प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल और बिहार हैं।

Lemon Prices Broke Records

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Suman Tiwari

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