इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ का ऐलान हो चुका है। यह मेगा आईपीओ 4 मई को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और 9 मई, 2022 को बंद होगा। एंकर निवेशकों के लिए यह इश्यू 2 मई को खुलेगा। एलआईसी आईपीओ का प्राइस बैंड 902-949 प्रति शेयर तय किया गया है।
हालांकि वर्तमान स्थिति को देखते हुए न केवल आईपीओ का प्राइस बैंड घटा दिया गया है बल्कि आईपीओ के साइज में भी कटौती की गई है। सरकार इस आईपीओ के जरिए 21000 करोड़ का फंड जुटाएगी। इसके बावजूद यह आईपीओ भारतीय इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
इससे पहले आईपीओ के अपडेटेड ड्राफ्ट को बाजार नियामक सेबी (SEBI) की मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को एलआईसी बोर्ड की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में एलआईसी आईपीओ के प्राइस बैंड से लेकर लॉट साइज और रिजर्वेशन जैसी चीजों पर अंतिम मुहर लग गई थी।
एक लॉट में 15 शेयर
एलआईसी आईपीओ के लिए 902 रुपये से 949 रुपये का प्राइस बैंड तय किया गया है। एक लॉट में 15 शेयर होंगे। यानि कि इस आईपीओ में निवेश के लिए कम से कम 14,235 रुपए लगाने होंगे, जिन्हें किसी प्रकार का डिस्काउंट नहीं दिया गया है।
LIC IPO की जरूरी बातें
आईपीओ की तारीखें (LIC IPO Dates):
2 मई- Anchor tranche
4-9 मई- Public offering
प्राइस बैंड : 902-949 रुपए प्रति शेयर
लॉट साइज : 15
रिटेल इन्वेस्टर्स और कर्मचारियों के लिए डिस्काउंट : Rs 45/-
पॉलिसी होल्डर्स के लिए डिस्काउंट : Rs 60/-
रिजर्वेशन्स (LIC IPO Reservations):
पॉलिसी होल्डर्स के लिए (Policy holders) – इश्यू का 10% – 2.21 करोड़ शेयर
कर्मचारियों के लिए – 0.15 करोड़ शेयर
पॉलिसी होल्डर्स और कर्मचारियों के रिजर्वेशन के बाद जो शेयर बचेंगे, उनका 50% QIB के लिए, 35% रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए और 15% एनआईआई के लिए होगा। QIB के हिस्से में 60% शेयर Anchor investors के लिए रिजर्व होंगे।
पहले 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के मूड में थी सरकार
एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) के जरिये सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में अपनी 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। इससे सरकार को 21,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। फरवरी में सरकार ने एलआईसी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी के हिसाब से 31.6 करोड़ शेयर बेचने की योजना बनाई थी।
इस बारे में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास दस्तावेज जमा कराए गए थे। लेकिन फरवरी में ही रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से बाजार में भारी उथल पुथल शुरू हो गई। बाजार में अनश्चितता रहने के कारण ही आईपीओ में देरी हुई। इसके बाद सरकार ने निर्गम के आकार को 5 प्रतिशत से घटाकर 3.5 प्रतिशत करने का फैसला किया गया था।
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