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IndiaNews (इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election 2024: लोक सभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। करीब-करीब सभी पार्टीयों ने अपने-अपने रणबाकुरों को मैदान में उतार दिया है। चुनाव के मैदान में महिलाएं भी हुंकार भर रही हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी कई मजबूत महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रहीं हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उनमें से अधिकांश राज्य से नहीं हैं। आईये आपको बताते हैं कौन-कौन सी महिला उम्मीदवार उत्तर प्रदेश से नहीं हैं लेकिन वे अपने क्षेत्र में काफी मजबूत हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश के बाहर से हैं। इटली की मूल निवासी, जो पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी से शादी के बाद से नई दिल्ली में रह रही हैं। श्रीमती गांधी ने 1999 में अमेठी से अपनी राजनीतिक शुरुआत की और फिर 2004 से 2019 तक रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सोनिया गांधी ने पहली बार 1984 में अमेठी में प्रचार किया था जब उनके पति राजीव गांधी ने अपनी राजनीतिक शुरुआत की थी। जब पूर्व प्रधान मंत्री की मृत्यु के बाद सोनिया गांधी ने आखिरकार राजनीति में कदम रखा और उन्होंने अपने पारिवारिक क्षेत्र, अमेठी को चुना।
मायावती का जन्म दिल्ली में हुआ था लेकिन उनकी राजनीतिक ‘कर्मभूमि’ उत्तर प्रदेश बन गई जब 1993 में राज्य में पहली एसपी-बीएसपी सरकार अस्तित्व में आई। परिस्थितियों ने 1995 में मायावती को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचाया और पिछले कुछ वर्षों में वह एक ऐसी राजनीतिज्ञ के रूप में उभरीं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अभिनेत्री और बीजेपी नेता हेमा मालिनी, जो मथुरा से अपना तीसरा कार्यकाल के लिए जीत दर्ज करना चाह रही हैं। बता दें हेमा मालिनी तमिलनाडु से हैं और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन मुंबई में बिताया है। उन्होंने 2014 और 2019 का चुनाव मथुरा से लड़ा और जीता। हेमा मालिनी खुद को ‘कृष्ण की गोपी’ कहती हैं और मथुरा से उनका दैवीय संबंध होने का दावा करती हैं।
स्मृति ईरानी, जो अमेठी से अपना दूसरा कार्यकाल चाह रही हैं, मूल रूप से दिल्ली की हैं। 2019 में अमेठी जीतने के बाद उन्होंने खुद को ‘अमेठी की बिटिया’ कहा था। उन्होंने अमेठी के गौरीगंज में अपना घर भी बनाया है और स्थानीय राजनीति से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
मूल रूप से दिल्ली से ताल्लुक रखने वाली मेनका गांधी इन महिलाओं में सबसे वरिष्ठ सांसद हैं, जिन्होंने अपना पहला चुनाव 1989 में जनता दल के टिकट पर जीता था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं और चुनाव लड़ने के लिए हमेशा उत्तर प्रदेश को चुना – पहले पीलीभीत और फिर सुल्तानपुर।
अभिनेत्री और नेता जया प्रदा का जन्म आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के लिए उत्तर प्रदेश को चुना। उन्होंने सबसे पहले टीडीपी हाथ पकड़ा था। जया प्रदा ने 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर रामपुर लोकसभा सीट से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। बाद में, वह 2019 में भाजपा में शामिल हो गईं।
वरिष्ठ सपा नेता और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं लेकिन अखिलेश यादव से शादी के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश को अपना घर बना लिया। डिंपल यादव ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में कांग्रेस के राज बब्बर के खिलाफ फिरोजाबाद से उपचुनाव लड़कर की थी। इस चुनाव में वह हार गईं. 2012 के उपचुनाव में उन्होंने कन्नौज सीट जीती। उन्होंने 2014 में कन्नौज सीट जीती लेकिन 2019 में हार गईं। हालांकि, 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद डिंपल यादव ने मैनपुरी उपचुनाव जीत दर्ज की।
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