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Lok Sabha Election 2024: क्या I.N.D.I.A. की आशाएं और आकांक्षाएं 2024 में भी ध्वस्त होंगी?

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : August 18, 2023, 4:56 pm IST
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Lok Sabha Election 2024: क्या I.N.D.I.A. की आशाएं और आकांक्षाएं 2024 में भी ध्वस्त होंगी?

Lok Sabha Election 2024: क्या I.N.D.I.A. की आशाएं और आकांक्षाएं 2024 में भी ध्वस्त होंगी……  

India News (इंडिया न्यूज़), Rakesh Sharma,Lok Sabha Election 2024: भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा हर पांच साल में आने वाला चुनावी महापर्व 2024 के लिए एक बार पुनः गर्भस्थ हो गया है। सत्तारोहण करने वाला बालक किस पार्टी के गर्भ से या कई मां बाप के संगठित असंगठित प्रयास से सत्तारूढ़ होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है और नौ माह के उपरांत मई ‘24 में ही पता चलेगा, लेकिन आशाओं और आकांक्षाओं के स्वप्न तो जागृत, सुप्त, विक्षिप्त, अर्ध विक्षिप्त, मर्णासन्न सभी पाले हुए हैं। यह सबका अधिकार भी है, कोई कैसे और क्यों किसी को रोक सकता है। लोकतंत्र का नवजात शिशु क्या होगा, कैसा होगा यह लोकतंत्र में सिर्फ़ और सिर्फ़ जनता जनार्धन के हाथ में होता है जिसे संपूर्ण ज्ञान होता है की किस मां बाप ने पांच वर्ष तक कैसी परवरिश की, उनके और राष्ट्र के जीवन को पुष्पित और पल्लवित करने के लिए क्या क्या किया, कैसा लालन पालन किया। जनता का विश्वास अर्जित करने के लिए एयरकंडीशंड कमरों में, या टीवी डिबेट्स में आकर, विदेशियों के हाथों की कठपुतली बनकर, देश, संसद और विदेशी धरती पर समय असमय पर टूल किट के सहारे भारत के लोकतंत्र पर तंज करने से कुछ नहीं होता या होगा। इसके लिए दूरदर्शिता के साथ संकल्पित होकर कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है।

मोदी का लाल क़िले से यह आख़िरी उद्बोधन है: विपक्ष

ज़्यादा दूर जाने की ज़रूरत ही नहीं है इस सप्ताह की घटनाओं से ही पता चल रहा है की हवा का रुख़ किस तरफ़ बह रहा है। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने वर्तमान कार्यकाल का स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल क़िले की प्राचीर से अपना अंतिम संदेश देते हुए स्पष्ट रूप से कहा की अगले साल मैं फिर यहीं से इसी दिन देश की प्रगति उन्नति का हिसाब देने आऊंगा, जब वह यह कह रहे थे उनके शरीर के आव भाव में कितना आत्म विश्वास झलक रहा था, जो कुछ पिछले नो वर्षों में देश की स्थिति परिस्थिति बदलने के लिए क्या किया है उसका वर्णन कितनी स्पष्टता से किया जा रहा था।
दूसरी और हताश निराश विक्षिप्त सा दिख रहा विपक्ष केजरीवाल, ममता, नीतीश, राहुल, शरद पवार सहित अन्य सुपारी पार्टियों के नेता इस दिन एक ही रट लगाए हुए थे की यह मोदी का लाल क़िले से यह आख़िरी उद्बोधन है। पत्रकारों के बार बार कुरेदने के बाद सभी एक ही अन्दाज़ में कहे जा रहे थे की “हमें मोदी को हटाना है” वह तानाशाह है, हमारी नहीं सुनता है। अब कोई इनसे पूछे यदि इनके बस में यह होता तो यह मोदी को बैठने ही क्यों देते।

मोदी पर अटूट विश्वास है

इनके किंकर्तव्यविमूढ़ नेताओं ने तो पाकिस्तान, अमेरिका और यूरोप तक से भारत के परिदृश्य से मोदी को हटाने और लोकतंत्र को बचाने की मदद मांग ली लेकिन मिला क्या “ठेंगा”। पाकिस्तान अपने अस्तित्व को ही बचाने में जुटा है, अमेरिका, यूरोप के अधिकतर देश मोदी का लोहा विश्व के विभिन्न मंचों पर मान चुके है। विश्व की कितनी एजेंसियां मोदी को विश्व का सर्वोच्च नेता मान चुकी है। इस सबके कारणों का गहराई से अवलोकन करने की बजाए येन केन प्राकेन सत्ता सुख प्राप्ति के लिए बिना किसी विचार धारा के मिले हुए बिखरा हुआ विपक्ष बस मोदी को हटाना है इसी तोता रटंत पर अड़ा हुआ है। जबकि सब जानते है हटा यह सब मिलकर भी नहीं सकते बल्कि जनता ही हटा सकती है और जिसे मोदी पर अटूट विश्वास है।
मोदी की विश्वसनीयता और विपक्ष की आविश्वसनीयता का कारण केवल मोदी ने जो पिछले नो वर्षों में देश को हर छेत्र में आगे बढ़ाने का अनवरत कार्य किया है और जो विपक्ष ने नकारात्मकता दिखाई है।

तीन बड़ी समस्याएं भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण

मोदी जी ने लालक़िले के प्राचीर से अपनी उपलब्धियां गिनाई और अमृत काल में 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का वायदा किया, अपने काल खंड में देश की अर्थव्यवस्था को विश्व में दसवें नंबर से पांचवे नंबर पर पहुंचने की बात कही, देश की अर्थव्यवस्था को अगले तीन चार वर्ष में तीसरे नंबर पर पहुंचाने का आश्वासन दिया। ग़रीबों के कल्याण की घोषणाएं की, देश को विश्व शक्ति बनाने की बात की। देशवासियों को सशक्त करने की बात की उन्होंने यह भी कहा की देश की तीन बड़ी समस्याएं भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण हैं जिन्हें समाप्त करना है जिससे देश आगे बड़ सके।

विकास मजबूत सरकार करती है

उधर केजरीवाल 15 अगस्त के ही दिन मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने की घोषणा करते हुए पूरे देश को दो सौ यूनिट बिजली फ्री देकर वोट ख़रीदने की बात करते दिखे। विकास और देश की कोई बात नहीं की। वैसे भी कई प्रदेशों में अभी से विपक्षी एकता में टूटन की खबरें तेज़ी से आ रही है ऐसे मैं टूटे फूटे और बिखरा हुआ विपक्ष मिलकर भी प्रतिदिन मज़बूत होते मोदी से 2024 में कैसे पार पाएगा। यही हाल विपक्ष का रहा तब अभी तो मोदी जी पहले से बेहतर तरीक़े से 2024 में आते दिख रहे हैं।
देश की जनता विकास चाहती है जो मजबूत सरकार से ही संभव है।

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