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India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक जून को बुलाई गई इंडी गठबंधन की बैठक को लेकर घटक दलों में ही एक मत नहीं है।टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी तो बैठक में न आने की बात कह चुकी हैं।बाकी दलों के आने को लेकर भी संशय बना हुआ है।हालांकि खरगे का कहना है कि सभी नेता आयेंगे और 4 जून की तैयारी पर चर्चा होगी।बूथ मैनेजमेंट कैसा हो क्या करना है आदि।खरगे ने यह बैठक ठीक उसी तरह बुला ली जैसे पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के समय बुलाई थी।खरगे ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने से पहले ही 6 दिसंबर के दिन बैठक आहूत करने की घोषणा कर दी।कर्नाटक और हिमाचल में मिली जीत के बाद कांग्रेस मान बैठी थी कि राजस्थान को छोड़ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत तय है।लेकिनतीन दिसंबर को जैसे ही परिणाम आए कांग्रेस तेलंगाना को छोड़ बाकी सभी प्रदेशों में चुनाव हार गई। इनमें हिंदी बेल्ट वाले मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ जैसे राज्य भी शामिल थे।
कांग्रेस की इस करारी का परिणाम यह रहा कि अधिकांश घटक दलों ने कांग्रेस को निशाने पर रख आरोप लगाया कि अकेले चुनाव लड़ने के चलते यह नतीजा आया सपा,टीएमसी,जेडीयू,नेशनल कॉन्फ्रेंस सभी ने कांग्रेस पर हमला बोला।इसके बाद ही इंडी गठबंधन की नीव डालने वाले जेडीयू नेता और बिहार सीएम नीतीश कुमार का गठबंधन से मोह भंग हो गया।नीतीश को लग गया कि अब महागठबंधन के साथ रहना ठीक नहीं है।और फिर महगठबंधन से नाता तोड बीजेपी में वापस चले गए।नीतीश कुमार के अलग होने के लिए कायदे से कांग्रेस ही जिम्मेदार थी।
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नीतीश चाहते थे उन्हे इंडी गठबंधन का फेस बनाया जाए,लेकिन कांग्रेसी नेताओं ने उन्हें हिदायत दे डाली।तीन राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद इंडी गठबंधन के बचे घटक दलों की एक जुट होना मजबूरी हो गई।हालांकि कांग्रेस ने यूपी के लिए बसपा को साथ लाने की बहुत कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।फिर सपा से गठबंधन किया।अगर तेलंगाना में चंद्रशेखर राव की हार नहीं होती तो फिर इंडी गठबंधन का स्वरूप अलग होता।क्योंकि राव भी एक मोर्चा बना पूरे देश की राजनीति करने की तैयारी में थे।उनका मोर्चा कांग्रेस और बीजेपी से दूरी बना कर चलता।शायद फिर आम आदमी पार्टी और सपा उसी मोर्चे में होते।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के इंडी गठबंधन तो बना लिया।लेकिन न तो कोई साझा घोषणा पत्र बनाया और ना ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम।इसके साथ कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए भी कोई फेस घोषित नहीं किया।जिसका नुकसान 4 जून को इंडी गठबंधन को भुगतना पड़ सकता है। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस अपने अध्यक्ष खरगे को ही फेस बना देती तो जातीय राजनीति काम कर जाती।लेकिन गांधी परिवार और उनके सलाहकारों ने ऐसा क्यों नहीं होने दिया बड़ी हैरानी जताई जा रही है।
अब राहुल गांधी ने एक बार फिर जल्द बाजी में पार्टी अध्यक्ष खरगे से इंडी गठबंधन की बैठक बुलवा दी।1 जून को एक तरफ जहां इंडी गठबंधन की बैठक पर नजर रहेगी वही उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी में साधना कर रहे होंगे। 30 मई को अंतिम चरण का प्रचार बंद होते ही प्रधानमंत्री मोदी कन्याकुमारी पहुंच जायेंगे।एक जून शाम तक विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान लगाएंगे।2019 के आम चुनाव के समय पीएम मोदी ने केदारनाथ गुफा में ध्यान लगाया था।
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एक जून को वोटिंग के बाद काफी हद तक संकेत मिलने लगेंगे कि 4 जून को क्या होने जा रहा।अभी से जो अनुमान सामने आ रहे हैं उनसे इतना तो तय लग रहा है कि राजग की सरकार वापस आ रही है।इन हालात में यही आशंका जताई जा रही है कि खरगे की बुलाई बैठक में घटक दल के प्रमुख आएंगे या नहीं।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो संकेत दे दिए हैं गठबंधन चुनाव तक के लिए है।केजरीवाल जानते है कि अगर इंडी गठबंधन की सरकार नहीं बनी तो कांग्रेस के साथ जा कर कोई फायदा नहीं है।इसी तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी मुंह मोड़ सकती है। देखना होगा कि एक जून का अगर बैठक हुई तो राहुल गांधी घटक दलों के नेताओं को कैसे साधते हैं।
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