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केंद्र का रिमोट संभालेंगे सीएम नीतीश! समझें 2024 की चुनाव में कैसे साबित हुए बाजीगर

Rajesh kumar • LAST UPDATED : June 4, 2024, 5:08 pm IST

India News(इंडिया न्यूज), Lok Sabha Results: नीतीश कुमार ने एक बार फिर सभी राजनीतिक पंडितों को गलत साबित कर दिया है। एग्जिट पोल की भविष्यवाणी हो या फिर सभी राजनीतिक पंडितों के बयान, नीतीश कुमार के लिए गलत साबित हुए हैं। ऐसे में 16 में से 15 सीटों पर लगभग जीत दर्ज कर चुके नीतीश कुमार का नतीजों के बाद केंद्रीय राजनीति में कद बढ़ गया है। यही वजह है कि आरजेडी के मनोज झा हों या फिर एनसीपी के शरद पवार, दोनों ने नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के खेमे में लाने के लिए तरह-तरह के ऑफर देने शुरू कर दिए हैं। जाहिर है, पिछले 15 सालों से बिहार की सत्ता के मुखिया रहे नीतीश का कद इतना बढ़ गया है कि यह तय माना जा रहा है कि अब केंद्र सरकार का रिमोट उनके हाथ में ही रहने वाला है।

नीतीश बाजीगर की तरह क्यों दिख रहे हैं बाजी?

प्रशांत किशोर यह बयान देकर चर्चा में आए थे कि लोकसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी 4 से 5 सीटों पर सिमट जाएगी। कहा जा रहा था कि नीतीश बार-बार पाला बदलकर अपनी साख खो चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे उन्हें एक बड़े बाजीगर के रूप में स्थापित कर रहे हैं। नीतीश के फैसले शुरू में भले ही गलत लगें लेकिन आखिरकार नीतीश विजेता बनकर सामने आते हैं, नीतीश ने यह फिर साबित कर दिया है।

एग्जिट पोल में भी बिहार में हार के लिए नीतीश कुमार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा था। राजनीतिक पंडित जेडीयू की वजह से एनडीए को हारते हुए देख रहे थे लेकिन चुनाव नतीजों में कांग्रेस किशनगंज सीट पर आगे चल रही है। साल 2019 में कांग्रेस पार्टी ने किशनगंज से एकमात्र सीट जीती थी। हालांकि जेडीयू जहानाबाद हारती दिख रही है लेकिन 16 में से 15 सीटों पर जेडीयू की जीत को बेहतरीन स्ट्राइक रेट माना जा रहा है।

नीतीश की असली ताकत को पहचानने लगे हैं लोग 

इसलिए जो लोग नीतीश कुमार पर राजनीतिक पतन की ओर बढ़ने का तंज कसते थे, वे अब नीतीश की असली ताकत को पहचानने लगे हैं। नीतीश की पार्टी के वरिष्ठ मंत्री मदन सहनी ने नीतीश के बड़े आलोचक को जवाब देते हुए कहा है कि नीतीश की वजह से बिहार यूपी की कहानी नहीं दोहरा पाया, वरना बिहार भी यूपी की तरह एनडीए की करारी हार से बच नहीं पाता। बार-बार बुरे दौर में फंसने के बावजूद नीतीश कुमार कैसे मजबूत होकर उभरे?

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साल 2020 में नीतीश कुमार की पार्टी को सिर्फ 43 सीटें मिलीं। उसके बाद से लगातार नीतीश कुमार की ताकत को कम करके आंका जा रहा था। कहा जा रहा था कि इधर-उधर भटकने की वजह से नीतीश कुमार की साख में काफी गिरावट आई है, लेकिन अब इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि नीतीश कुमार एक बार फिर जनता की अदालत में एक ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं।

इंडिया गठबंधन की नींव रखे थे नीतीश

2015 में आरजेडी के साथ मिलकर बीजेपी को हराने वाले नीतीश 2017 में एनडीए में वापस आ गए। इसकी बदौलत एनडीए साल 2019 में 40 में से 39 सीटें जीतने में सफल रहा। साल 2022 में नीतीश एक बार फिर आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में सरकार चलाने आए। इस बार भी नीतीश ने केंद्र सरकार के खिलाफ इंडिया गठबंधन की नींव रखी, लेकिन साल 2023 तक नीतीश कुमार का महागठबंधन से मोहभंग हो चुका था। इसलिए वो एनडीए में वापस आ गए हैं।

इस बार नीतीश एनडीए में आकर एक बार फिर से महागठबंधन को मात देते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं, 240 सीटों के आसपास सिमटती दिख रही बीजेपी को अब साफ तौर पर सरकार चलाने के लिए नीतीश कुमार की जरूरत है। इसलिए कहा जा सकता है कि नीतीश जिस तरफ भी पलटेंगे, पलड़ा उसी तरफ झुकेगा। यही वजह है कि पिछले 18 सालों से बिहार की राजनीति पर राज कर रहे नीतीश अब केंद्र सरकार पर भी मजबूत पकड़ बनाए हुए दिखेंगे। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

क्या नीतीश पाला बदलकर केंद्र सरकार में बड़ी भूमिका में नजर आएंगे?

क्या नीतीश एनडीए में बने रहेंगे या फिर पाला बदलकर केंद्र सरकार में बड़ी भूमिका में नजर आएंगे? शरद पवार की ओर से मिला न्योता राजनीतिक हलकों में कौतूहल का विषय बन गया है। वहीं सूत्रों से यह भी खबर आई है कि कांग्रेस नीतीश और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू से संपर्क कर उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल होने का न्योता दे सकती है। जाहिर है कि नीतीश हों या चंद्रबाबू नायडू, दोनों की भूमिका केंद्र में सरकार बनाने के लिए अहम नजर आ रही है।

दोनों को मिलाकर करीब 30 सांसद ऐसे हैं, जिन्हें एनडीए या इंडिया गठबंधन के लिए अहम बताया जा रहा है। नीतीश कुमार के पास सुनहरा मौका है, जिसे वे अपने पक्ष में मजबूती से भुनाना चाहेंगे। ऐसे में मौजूदा स्वरूप में नीतीश की अहमियत बढ़ना स्वाभाविक है और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि बिहार से लेकर केंद्र तक की सरकार में उनका मजबूत दबदबा रहेगा।

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क्या नीतीश बिहार की सत्ता संभालेंगे या फिर केंद्र का रुख करेंगे? जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हों या फिर राष्ट्रीय प्रवक्ता और नीतीश कुमार के सलाहकार केसी त्यागी, दोनों ने एनडीए में बने रहने को लेकर बयान दिया है। इसलिए नीतीश अगर एनडीए में बने भी रहते हैं तो केंद्र सरकार में जेडीयू की भूमिका बड़ी होने वाली है। जाहिर है, यही वजह है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं। पीएम मोदी ने टीडीपी नेता चंद्रबाबू को एनडीए खेमे में बनाए रखने के लिए उनसे संपर्क कर अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं।

डिप्टी पीएम पद का ऑफर दिया इंडिया गठबंधन

नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन की ओर से डिप्टी पीएम पद का ऑफर दिया गया है। वहीं, बीजेपी ने कल एनडीए की बैठक बुलाई है। जाहिर है, ऐसे में यह नीतीश पर निर्भर करता है कि वह किस तरफ रहेंगे और क्या वह बिहार छोड़कर केंद्र में कोई नई भूमिका तलाशेंगे, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नीतीश कुमार की पार्टी को केंद्र में कोई अहम मंत्रालय दिया जा सकता है।

इस बार यह साफ लग रहा है कि जेडीयू प्रतीकात्मक आधार पर नहीं बल्कि आनुपातिक आधार पर केंद्र की सत्ता में शामिल होगी। इसलिए संजय झा, ललन सिंह, संतोष कुशवाहा के मंत्री बनने की संभावना बढ़ गई है। इतना ही नहीं, नीतीश का एजेंडा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाना भी रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि नीतीश विशेष राज्य के दर्जे की मांग को मनवाकर 2025 के विधानसभा चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। जाहिर है, बहुमत से दूर भाजपा के लिए नीतीश अब इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि उनके बिना एनडीए सरकार चलाना मुश्किल लग रहा है।

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