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Lok Sabha Election Results: जानें दो लोगों को बराबर वोट मिले तो कौन होगा विजेता-Indianews

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : June 4, 2024, 6:35 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election Results: लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव शनिवार को सातवें और अंतिम चरण के साथ संपन्न हो गया। अब पूरा देश बेसब्री से यह जानने का इंतजार कर रहा है कि केंद्र में कौन सरकार बनाएगा।   सभी सीटों पर डाले गए वोटों की गिनती 4 जून को की जाएगी। वोटों की गिनती के दौरान कई बार ऐसा हुआ है जब एक सीट पर दो मतदाताओं को बराबर वोट मिले हों। ऐसी स्थिति में विजेता का फैसला कैसे होता है?  इन मामलों में पीपुल्स एक्ट के तहत लॉटरी के जरिए प्रतिनिधित्व का फैसला होता है। आइए समझते हैं कि चुनाव में होने वाली यह लॉटरी कैसे होती है।

वोटों की गिनती के लिए कौन जिम्मेदार होता है?

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 64 के अनुसार, हर चुनाव में जहां मतदान होता है, वहां मतों की गिनती रिटर्निंग ऑफिसर की देखरेख और निर्देशन में की जाएगी। इसके अलावा यह धारा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार, उसके चुनाव एजेंट और उसकी पार्टी को मतगणना के दौरान मौजूद रहने का अधिकार भी देती है।

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दो लोगों को बराबर वोट मिले तो क्या होगा?

मतगणना पूरी होने के बाद जब बराबर वोटों की स्थिति बनती है तब रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट के सेक्शन 65 के तहत अंतिम फैसला लिया जाता है। इन मामलों में रिटर्निंग ऑफिसर लॉट के जरिए उम्मीदवारों के बीच फैसला लेता है।

लॉटरी सिस्टम में बराबर वोट पाने वाले व्यक्तियों के नाम वाली पर्चियां एक बॉक्स में रखी जाती हैं। फिर बॉक्स को हिलाने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर एक पर्ची निकालता है। जिस भी उम्मीदवार की पर्ची निकलती है, उसके नाम एक अतिरिक्त वोट माना जाता है। इस तरह अगर लॉटरी के जरिए एक वोट बढ़ता है तो दोनों उम्मीदवारों में से एक को विजेता घोषित किया जाता है।

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क्या कभी लाट की जरूरत पड़ी है?

भारतीय चुनावों में विजेता का फैसला अक्सर लाट के जरिए होता रहा है। कानून में यह साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि लाट कैसे डाली जाएगी। बराबरी की स्थिति में रिटर्निंग ऑफिसर या तो बॉक्स में पर्ची डालकर या फिर सिक्का उछालकर फैसला कर सकता है। सिक्किम में 2018 के पंचायत चुनाव में 6 सीटों पर सिक्का उछालकर विजेता का चयन किया गया था। इन सभी सीटों पर उम्मीदवारों के बीच बराबरी हुई थी।

फरवरी 2017 में बीएमसी चुनाव में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। उस समय भाजपा उम्मीदवार अतुल शाह और भाजपा के सुरेंद्र के बीच कांटे की टक्कर थी। दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले थे। बराबर मतों की गिनती सुनिश्चित करने के लिए दो बार और वोटों की गिनती की गई। हालांकि, फिर भी नतीजा बराबर रहा। इसके बाद लॉटरी के जरिए अंतिम फैसला लिया गया और अतुल शाह को विजेता घोषित किया गया।

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