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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा सचिवालय ने संसद में कई शब्दों का इस्तेमाल बैन कर दिया है। सचिवालय ने कहा है कि बैन किए गए शब्दों व मुहावरों का राज्यसभा और लोकसभा में प्रयोग गलत और असंसदीय माना जाएगा। विपक्षियों ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, और झारखंड विधानसभाओं की कार्यवाही से ऐसे शब्दों व मुहावरों को पहले ही असंसदीय बता कर हटा दिया गया है। नई लिस्ट में राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं की कार्यवाही से हटाए गए शब्द सबसे ज्यादा शामिल हैं। 18 जुलाई से मानसून का सत्र शुरू हो रहा है
लोकसभा सचिवालय ने जिन शब्दों को बैन किया है उनमें बाल बुद्धि, स्नूपगेट जुमलाजीवी, कोविड स्प्रेडर, धोखा, शर्मिंदा, खूनी, रक्तपात, दुर्व्यवहार, चमचागिरी, धोखा, चमचा, अहंकार, दादागिरी, बचकाना, गिरगिट, भ्रष्ट, कायर, अपमान, गधा, मगरमच्छ के आंसू, असत्य, पाखंड, गुंडागर्दी, अक्षम, झूठ, खरीद-फरोख्त, गदर, गुंडे, अहंकार, काला दिन, मूर्ख, दलाल, बेचारा, दोहरा चरित्र, लॉलीपॉप, विश्वासघाट, संवेदनहीन, खून से खेती, बहरी सरकार, चिलम लेना, अ कोयला चोर, ढिंढोरा पीटना, अराजकतावादी, शकुनि, तानाशाही, निकम्मा, नौटंकी, यौन उत्पीड़न, जयचंद, विनाश पुरुष व बॉबकट जैसे शब्द शामिल हैं। नई बुकलेट के मुताबिक, यदि इन शब्दों का किसी दूसरे शब्दों के साथ जोड़ कर इस्तेमाल किया जाएगा, तो इन शब्दों को असंसदीय नहीं माना जाएगा। इसी के साथ अध्यक्ष पर आरोप को लेकर भी कई वाक्यों को लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय श्रेणी में रखा है।
तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन ने लोकसभा सचिवालय के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने कहा, मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करना रखंूगा। ओ ब्रायन ने कहा, मुझे निलंबित कर दीजिए। मैं लोकतंत्र के लिए लड़ाई लडूंगा। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने फैसले पर कहा, आपका मतलब है, मैं लोकसभा में खड़ी नहीं हो सकती और यह बात नहीं कर सकती कि कैसे एक अक्षम सरकार ने देशवासियों को धोखा दिया है, जिन्हें अपने पाखंड पर शर्म आनी चाहिए। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने ट्वीट कर लिखा, यह मीम याद आ गया। उन्होंने कहा, अगर हम बोलें तो बोलें क्या? हम करें तो करें सिर्फ, वाह मोदी जी वाह!
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