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Indianews (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha2024: अजीत मेंदोला- लोकसभा चुनाव के पहले चरण की 112 सीटों पर हुए कम वोटिंग प्रतिशत ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोटिंग के एक दम बाद कहा कि उन्हें देशभर से बेहतरीन फीड बैक मिल रहा है। अपने एक्स में उन्होंने पहले चरण को शानदार बताया। एक तरह से प्रधानमंत्री ने संदेश दिया कि वोटिंग राजग के पक्ष में हुई है। लेकिन ठीक इसके उलट हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में हुई कम वोटिंग ने विपक्ष की उम्मीदें जगा दी हैं। खास तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, बिहार और मध्यप्रदेश में। ये वे राज्य हैं जिनके दम पर भाजपा 300 का आंकड़ा पार करती है।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के भाजपाई ऊपरी तौर पर तो खुश दिख रहे हैं और दावा भी है कि सभी सीट जीत रहे हैं। लेकिन अंदर से चिंतित भी हैं। चिंता इस बात की कि पिछली बार से कम वोटिंग क्यों हुई। राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्य में वोटिंग का कम होना बीजेपी के लिए शुभ संकेत नहीं कहे जा सकते हैं। जबकि दोनों प्रदेश सनातनी धर्म के गढ़ हैं। राजस्थान का तो ट्रेंड रहा है जब भी लोकसभा में कम वोटिंग हुई है उससे बीजेपी को नुकसान ही हुआ है। 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव के परिणाम इसके उदाहरण हैं।
कम वोटिंग होने की वजह भले ज्यादा गर्मी, शादी के साए और छुट्टी के लंबे विकेंड को बताया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसकी वजह बीजेपी को बाकी चरणों के लिए तलाशनी होगी। दरअसल अगर हम इससे पूर्व के दो चुनावों को देखें तो अलग ही थे। 2014 में सत्ताधारी यूपीए के खिलाफ गुस्सा था और जनता ने उसे हराने के लिए बीजेपी को खुल कर वोट किया। गुस्से की लहर थी, परिणाम आने से पहले ही साफ हो गया था कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार बनाने जा रही है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम और फैसलों की लहर थी। भाजपा ने रिकार्ड सीटों से जीत हासिल की।लेकिन इस बार के आम चुनाव में कोई लहर अभी तक नहीं दिखी है।
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ऐसा लगता है इस साल 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला मूर्ती के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से बने माहौल के बाद बीजेपी निश्चिंत हो गई। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पूरा देश राम मय हो गया। विपक्ष ने भी उम्मीद छोड़ दी। इसलिए कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं ने चुनाव से दूरी बना ली। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब की बार 400 पार का नारा दे दिया।जानकार मान रहे हैं कि ये नारा कहीं उन हिंदी भाषी राज्यों में नुकसान दायक भी हो सकता है जहां दलित, एसटी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हों। जैसे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कुछ सीटों की रिपोर्ट आ रही हैं कि मुस्लिम, दलित और एसटी बाहुल्य वाली सीटों पर ज्यादा मतदान हुआ है। जो बातें निकल कर सामने आ रही हैं वह बीजेपी की चिंता बढ़ा सकती है। विपक्ष वोटरों को समझाने में सफल रहा कि 400 पार का मतलब भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार देश के संविधान को बदल कर आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। इसके चलते दलित, मुस्लिम इलाकों में ज्यादा मतदान हुआ। जबकि दूसरे इलाकों में कम वोटिंग हुई। बिहार और मध्यप्रदेश में भी कम वोटिंग के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। दोनों खेमे खुश हैं।
परिणाम वाले दिन पता चलेगा कि किसके पक्ष में वोटिंग हुई थी। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी हर रैली में कहते भी आएं हैं कि न आरक्षण खत्म होगा और ना ही होने देंगे। इस अपील का कितना असर हो रहा है 4 जून को पता चलेगा।
वोटरों के उदासीन होने के पीछे एक वजह यह भी सामने आ रही है कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं को लगा राम मंदिर मुद्दे के बाद कुछ करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर वोट मिल ही जायेगा। सो निष्क्रिय हो गए। एक उदाहरण जयपुर का ही लें, बीजेपी प्रत्याशी मंजू शर्मा के कार्यकर्ताओं ने वोटरों से सीधे संपर्क कर पर्ची ही नहीं बांटी। पढ़े लिखे वोटरों ने घर से बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं की। यह बीजेपी का वोटर माना जाता है। राजस्थान में उतर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह जातीय राजनीति पर वोट पड़ने की खबरें हैं। जाट, मीणा और गुर्जर बाहुल्य इलाकों में वोटिंग को लेकर कम उत्साह होना बीजेपी के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। पिछली बार से 6% कम वोट हुआ है।
झुंझुनू, सीकर, दौसा, चुरू, श्री गंगानगर और अलवर जैसी सीट जातीय समीकरण में फंस भी सकती हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ जयपुर शहर की कम वोटिंग बीजेपी के लिए उदाहरण है। क्योंकि कम वोटिंग के बाद भी बीजेपी के इस सीट पर जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है। तो ऐसे में जानकारों का कहना है कि कम वोटिंग बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है, तर्क संगत नहीं है ।हो सकता है कि बीजेपी का ही वोटर ही वोट देने निकला हो। बीजेपी सभी सीट जीत जाए। अब कम वोट के असर का पता परिणाम वाले दिन 4 जून को ही लगेगा। लेकिन हो सकता है कि बाकी के चरणों में बीजेपी वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए रणनीति बदले।
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