होम / देश / निचली अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लंबी न चले सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट

निचली अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लंबी न चले सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट

BY: Umesh Kumar Sharma • LAST UPDATED : August 19, 2022, 5:39 pm IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

निचली अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लंबी न चले सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट

निचली अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लंबी न चले सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Lower Courts Should Ensure ) : सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि किसी भी हाल में सुनवाई लंबी न चले, इसके लिए आवश्यक कदम उठाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त बातें गवाहों से पूछताछ में हो रही देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कही। कोर्ट ने कहा कि गवाहों से पूछताछ में देरी किये जाने से गवाहों को गवाही देने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में कोर्ट को इस मामले में बारिकी से ध्यान दिया जाना चाहिए। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि निचली अदालत को किसी भी पक्ष के लंबी रणनीति को रोकना चाहिए ताकि अपीलकर्ता को शीघ्र न्याय मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की अपनी नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश में चित्तूर जिले के मेयर की हत्या करने वाले व्यक्तियों को भागने में मदद करने वाले एक आरोपी व्यक्ति को जमानत देते समय यह उक्त बातें कही। कोर्ट ने कहा कि हत्यारों को भागने में मदद करने वाला व्यक्ति गत सात साल से जेल में कैद है और अभियोजन पक्ष को अभी भी गवाहों से पूछताछ करना बाकी है। बेंच ने आगे कहा कि हमें इस बारे में जान कर आश्चर्य होता है कि इस मामले के सात साल बीत जाने के बाद भी अभी भी अभियोजन पक्ष के गवाहों से पूछताछ होना बाकी है।

इतना ही नहीं इस मामले में अभी ट्रायल शुरू होना भी बाकी है। यह प्रक्रिया यह किसी भी तरह से बर्दाश्त के योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि गवाहों से पूछताछ में देरी होने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। अभियोजन पक्ष का यह काम है कि वह अपने गवाहों की मौजूदगी सुनिश्चित कराए। ताकि मामले का शीघ्र निपटान किया जा सके।

अपीलकर्ता को जमानत देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को यह निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले को आदेश जारी होने की अवधी से एक वर्ष के भीतर ही उपलब्ध करा दी जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि हम अरोप पत्र में अपीलकर्ता की भूमिका और जेल में काटे गए समय को देखते हुए अपीलकर्ता को जमानत देने का आदेश देते हैं।

हालांकि कोर्ट ने अपीलकर्ता को सभी तारीखों पर निचली अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। इस दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर अपीलकर्ता किसी भी तरह से सुनवाई में देरी करता है या सबूतों में किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ करने का प्रयास करता है तो निचली अदालत को यह अधिकार है कि वह अपीलकर्ता की जमानत रद्द कर आवश्यक कार्रवाई करें।

ये भी पढ़े :आठ मंत्रालयों से सामाजिक एवं न्याय मंत्रालय को 950 करोड़ का फंड ट्रांसफर
ये भी पढ़े : कुछ राज्यों में मानसून फिर सक्रिय, दक्षिण मध्य भारत व पहाड़ी राज्यों में बारिश के आसार
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT