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India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजा आ चूका है। जिसमें कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा है। वहीं बीजेपी ने सत्ता की हैट्रिक लगाई है। जिसके बाद से ही कांग्रेस बैकफुट पर है, वहीं बीजेपी खूब उत्साहित है।दरअसल, इसी साल नवंबर में महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा ने राहुल गांधी को एक और झटका देने की तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच गठबंधन है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महा विकास अघाड़ी गठबंधन का उत्साह हाई था। लेकिन हरियाणा के नतीजों ने उसके उत्साह को थोड़ा ठंडा कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा टेंशन कांग्रेस को है। अब चुनाव से ठीक पहले एनडीए ने ऐसी चाल चल दी है, जिसका जवाब राहुल गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए ढूंढ पाना मुश्किल हो गया है।
बता दें कि, महाराष्ट्र सरकार केंद्र से अनुरोध करेगी कि ओबीसी में नॉन क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा मौजूदा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये सालाना की जाए। इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से मांग की है कि ओबीसी में क्रीमी लेयर निर्धारित करने के लिए मौजूदा 8 लाख की सीमा को बढ़ाकर 15 लाख किया जाए। यह फैसला महाराष्ट्र में अगले महीने प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले आया है। दरअसल, ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आरक्षण का लाभ पाने के लिए नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। यह सर्टिफिकेट प्रमाणित करता है कि उक्त व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है।
महाराष्ट्र की भाजपा-एनसीपी-शिवसेना सरकार ने ओबीसी के साथ एससी वोटरों को लुभाने का दांव खेला है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने राज्य अनुसूचित आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसे विधानसभा के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार के इन दोनों फैसलों को चुनाव से पहले बड़ा कदम बताया जा रहा है। दरअसल, राहुल गांधी भी ओबीसी और एससी वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि वे बार-बार जाति जनगणना की बात कर रहे हैं। बता दें कि, शिंदे कैबिनेट की बैठक में महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए अध्यादेश के मसौदे को भी मंजूरी दी गई। यह अध्यादेश विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा।
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दरअसल, महाराष्ट्र सरकार में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति सरकार मराठा आरक्षण आंदोलन के मुद्दे से जूझ रही थी। मराठा आरक्षण की मांग कर रहे आंदोलनकारी मनोज जरांगे बार-बार आंदोलन करके सरकार की टेंशन बढ़ा रहे थे। इस पर एनडीए बैकफुट पर नजर आ रही थी। महाविकास अघाड़ी गठबंधन इस मुद्दे को चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उससे पहले ही एनडीए ने चाल चल दी। बीजेपी, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने मिलकर महाराष्ट्र जीतने का प्लान बनाया। महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का असर चुनाव में देखने को मिल सकता है। इस कदम से महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने ओबीसी को लुभाने की कोशिश की है। महायुति का यह प्लान राहुल गांधी के प्लान पर पानी फेर सकता है।
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