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महाराष्ट्र के जलगांव में बड़ा हादसा, आग लगने की अफवाह के बीच यात्री ट्रेन से कूदे, कई लोगों की मौत
India News (इंडिया न्यूज), Pushpak Express Train Accident: महाराष्ट्र के जलगांव में एक बड़ा रेल हादसा हुआ है। पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह के बाद भगदड़ मच गई, जिसके बाद यात्री चलती ट्रेन से कूद गए। इसी दौरान दूसरे ट्रैक से गुजर रही कर्नाटक एक्सप्रेस ने लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में करीब 11 लोगों की मौत हो गई और 40 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया है, साथ ही स्थानीय जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंच रही है। रेलवे के अधिकारी भी मौके पर पहुंच रहे हैं और भीषण रेल हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने बचाव अभियान भी शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं रेलवे का बचाव सिस्टम कैसे काम करता है, इसे लेकर क्या नियम हैं?
रेलवे का नेटवर्क पूरे देश में है। हर दिन लाखों लोग भारतीय रेलवे से यात्रा करते हैं, इन यात्रियों की सुरक्षा भी रेलवे की बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए रेलवे ने दुर्घटनाओं के समय राहत पहुंचाने के लिए क्विक रिस्पॉन्स सिस्टम तैयार किया है, ताकि दुर्घटना स्थल पर तुरंत पहुंचकर प्रभावित यात्रियों को मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। रेलवे के पास ऐसी दुर्घटनाओं के समय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दुर्घटना राहत चिकित्सा ट्रेन है, जिसे तुरंत दुर्घटना स्थल पर भेजा जाता है।
जब भी दुर्घटना राहत चिकित्सा ट्रेन को दुर्घटना स्थल पर भेजा जाता है, तो उस रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया जाता है, ताकि एआरटी (दुर्घटना राहत ट्रेन) जल्द से जल्द दुर्घटना स्थल पर पहुंच सके। रेलवे की एसओपी के अनुसार, राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत जैसी वीआईपी और वीवीआईपी ट्रेनों को भी रास्ता देने के लिए एआरटी के रूट पर रुकना पड़ता है। एआरटी दुर्घटना स्थल पर पहुंचकर घायल यात्रियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके साथ ही वहां रूट बहाली और बचाव कार्य भी करती है।
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ट्रेन दुर्घटना के समय ट्रेन में मौजूद गार्ड, लोको पायलट, सहायक लोको पायलट नजदीकी स्टेशन मास्टर को दुर्घटना की जानकारी देते हैं। इस दौरान दुर्घटना की गंभीरता, जानमाल की हानि, रेलवे संपत्ति को नुकसान और रेलवे ट्रैक पर यातायात बाधित होने की सूचना दी जाती है। इसके बाद यह जानकारी सेक्शन कंट्रोल को दी जाती है। अनुभाग नियंत्रण अधिकारी, उप मुख्य नियंत्रक या मुख्य नियंत्रक यह सूचना डीआरएम या एडीआरएम को देते हैं, जिसके बाद यह सूचना मीडिया तक पहुंचती है और आगे विभाग स्तर पर प्रेषित की जाती है।
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