India News (इंडिया न्यूज), Manipur:मणिपुर उच्च न्यायालय ने 2023 के एक आदेश को संशोधित किया है जिसमें उसने मेइती को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी किया था।
उच्च न्यायालय ने मार्च 2023 के आदेश से एक पैराग्राफ को हटाने का आदेश दिया है। पैराग्राफ में राज्य से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का आग्रह किया गया था। यह पैराग्राफ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के रुख के विपरीत था।
इस आदेश के बाद राज्य में आदिवासी समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई, संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई। न्यायमूर्ति गोलमेई गैफुलशिलु की एकल एक पीठ ने बुधवार को एक समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त अंश को हटा दिया।
पिछले साल के फैसले का विवादास्पद पैराग्राफ, जिसमें राज्य को मैतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने में तेजी लाने का निर्देश दिया गया था। पैराग्राफ को हटाने के लिए कहा गया।
पिछले साल के फैसले के पैराग्राफ में कहा गया था कि राज्य सरकार आदेश प्राप्त होने की तारीख से “मीतेई/मेतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं के मामले पर शीघ्रता से, अधिमानतः चार सप्ताह की अवधि के भीतर विचार करेगी”।
21 फरवरी को न्यायमूर्ति गाइफुलशिलु के फैसले ने अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन के लिए भारत सरकार की निर्धारित प्रक्रिया की ओर इशारा करते हुए निर्देश को हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
न्यायमूर्ति गाइफुलशिलू ने कहा, ‘तदनुसार, पैरा संख्या 17(iii) में दिए गए निर्देश को हटाने की जरूरत है और 27 मार्च, 2023 के फैसले और आदेश के पैरा संख्या 17(iii) को हटाने के लिए तदनुसार आदेश दिया जाता है…।’
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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