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साल 1949 में मणिपुर का भारत में हुआ था विलय, जानें इस रियासत की क्या है कहानी!

India News (इंडिया न्यूज़), Independence Day Special, नई दिल्ली: देश को आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सैनानी शहीद हो गए। स्वतंत्रता संग्राम की बलि वेदी पर आजादी के अनगिनत दीवानों ने अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर दिया। इसके लिए कई महिलाओं का सुहाग उजड़ा, कई मां की गोद सूनी हो गई, कई बहनों से उनके भाई की राखी बांधने वाली कलाई छिन गई। 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब आखिरकार एक लंबे संर्घष के बाद हमारा देश ब्रिटिश गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ था। मगर देश का बंटवारा भी हो गया। मजहब के आधार पर एक देश का बंटवारा हो गया। भारत से अलग होकर एक नया मुल्क पाकिस्तान बन गया था।

सबसे बड़ी चुनौती थी देसी रियासतों का विलय

भारत के दोनों तरफ पाकिस्तान पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान है जो कि अब बांग्लादेश बन चुका है। भारत के हिस्से वाले इलाकों में करीब 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी रियासतें हुआ करती थीं। कुछ ऐसा ही हाल पाकिस्तान वाले हिस्से का भी हुआ करता था। नए-नए आजाद हुए देश के लिए इन सभी देसी रियासतों का विलय एक सबसे बड़ी चुनौती थी। कुछ रियासतें ऐसी भी थीं जहां मुस्लिम शासक था। परंतु ज्यादातर आबादी हिंदू और वहां के शासक पाकिस्तान में विलय चाहते थे।

सरदार पटेल ने इन रियासतों का कराया विलय

इन रियासतों का सरदार वल्लभ भाई पटेल ने विलय कराया था। तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार और खासकर तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन रियासतों का विलय करवाया। मान-मनौव्वल, समझा-बुझाकर और जरूरत पड़ने पर सख्ती दिखाकर उन्होंने इन रियायतों का विलय करा लिया। तिनका-तिनका जोड़कर जैसे चिड़ियां अपना घोंसला बनाती हैं। ठीक उसी तरह एक-एक रियायत जोड़कर आधुनिक भारत की नींव रखी गई। तो आइए इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक नजर डालते हैं इन रियासतों में से एक मणिपुर रियासत के भारत विलय पर….।

मणिपुर के महाराजा ने लिया था भारत में विलय का फैसला

बता दें कि भारत जब आजाद हुआ उस वक्त मणिपुर एक स्वतंत्र रियासत थी। हालांकि, मणिपुर के महाराजा ने बाद में साल 1949 में अपनी रियासत का भारत में विलय करने का निर्णय किया था। इस तरह से मणिपुर भारत का हिस्सा बना था। मणिपुर आजकल काफी चर्चा में बना हुआ है। मगर हिंसा की वजह से। पिछले 3 महीने से ज्यादा वक्त से पूर्वोत्तर का ये सूबा हिंसा की चपेट में है। अबतक 150 से अधिक लोगों की इस जातीय हिंसा में मौत हो चुकी है।

Akanksha Gupta

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