होम / Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया को मिलेगी बेल या जेल में ही करना होगा इंतजार? जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया को मिलेगी बेल या जेल में ही करना होगा इंतजार? जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

Reepu kumari • LAST UPDATED : August 5, 2024, 7:39 am IST

Manish Sisodia

India News (इंडिया न्यूज), Delhi Excise Policy Case: सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार को आप नेता मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करेगा। आपको बता दें कि सिसोदिया की ओर से कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत मांगी गई है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 29 जुलाई को सीबीआई और ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया था कि सिसोदिया की याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन यह रिकॉर्ड पर नहीं आया है। राजू ने सिसोदिया की याचिकाओं पर प्रारंभिक आपत्तियां उठाई थीं और कहा था कि यह उसी दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी विशेष अनुमति याचिका है।

  • 30 अप्रैल को निचली अदालत के आदेश को चुनौती
  • 26 फरवरी, 2023 हुई थी गिरफ्तारी
  • जमानत देने से इनकार

30 अप्रैल को निचली अदालत के आदेश को चुनौती

विधि अधिकारी के अनुसार “एक ही आदेश को दो बार चुनौती नहीं दी जा सकती।” सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं। उन्होंने उच्च न्यायालय में 30 अप्रैल को निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।

26 फरवरी, 2023 हुई थी गिरफ्तारी

शराब नीति मामले में उनकी कथित भूमिका को लेकर उन्हें 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से उपजे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सुनवाई के दौरान राजू ने शीर्ष अदालत के 4 जून के आदेश का हवाला दिया, जिसमें सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा था कि ईडी और सीबीआई द्वारा कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से जुड़े मामलों में क्रमशः अपनी अंतिम अभियोजन शिकायत और आरोप पत्र दायर करने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिकाओं को पुनर्जीवित कर सकते हैं।

ईडी के आरोप पत्र

अभियोजन शिकायत ईडी के आरोप पत्र के बराबर है। पीठ ने कहा था, “उक्त प्रस्तुतियों के प्रकाश में और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस अदालत द्वारा 30 अक्टूबर, 2023 के आदेश द्वारा निर्धारित ‘छह से आठ’ महीने की अवधि समाप्त नहीं हुई है, याचिकाकर्ता को अंतिम शिकायत/आरोप पत्र दाखिल करने के बाद अपनी प्रार्थना को फिर से पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता के साथ इन याचिकाओं का निपटारा करना पर्याप्त होगा, जैसा कि सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया है।”

Aaj Ka Rashifal: सिंह, तुला और कुंभ राशि वालों की सभी मनोकामना होंगी पूरी, जानें अपना दैनिक राशिफल

जमानत देने से इनकार

पिछले सप्ताह सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने राजू की दलीलों को “बिल्कुल चौंकाने वाला” करार दिया और कहा कि एक अभियोजक के लिए ऐसा कहना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके बाद विधि अधिकारी ने पिछले साल 30 अक्टूबर को शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को यह छूट दी थी कि अगर परिस्थितियों में कोई बदलाव होता है या मुकदमा लंबा खिंचता है तो वे राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
दोनों पक्षों की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा 30 अक्टूबर के आदेश में निर्धारित अवधि समाप्त हो चुकी है और मामले की मेरिट के आधार पर सुनवाई की जा सकती है।

Genelia Deshmukh Birthday: जेनेलिया नहीं थी ‘जाने तू या जाने ना’ का हिस्सा, फिर कैसे मिला अदिति का रोल ?

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

‘तिरुपति के लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी… ‘, CM चंद्रबाबू पर आंध्र सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर लगाए आरोप
उत्तर प्रदेश का ये गाँव कहलाता है ‘UPSC’ की फैक्ट्री, हर घर से निकलते है IAS और IPS, जानें दिलचस्प कहानी
Prashant Kishor: शराबबंदी खत्म होने चाहिए या नहीं? प्रशांत किशोर ने कराया सर्वे; रिजल्ट हैरान करने वाला है
MP News: सागर के महुआखेड़ा गांव में उल्टी-दस्त का प्रकोप, स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची गांव
आखिर क्यों 100 साल से इस गांव का एक भी व्यक्ति नहीं करता श्राद्ध पूजा? पितृ पक्ष में ब्राह्मण का प्रवेश तक है वर्जित!
वो मुगल शहजादा जिसके साथ रहता था भूतों का पूरा परिवार, खुद पिशाच करते थे नौकरों की तरह सेवा!
थुलथुलापन को निचोड़ देंगे ये 5 फलो के जूस, डाइड में शामिल करने से पिघल जाएगी सारी चर्बी
ADVERTISEMENT