India News ( इंडिया न्यूज़ ), Mathura Shahi Masjid Case: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद मामले में शुक्रवार (5 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी है, जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा है कि याचिका में उठाए गए मुद्दे पहले से ही अदालत के समक्ष विचाराधीन हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना ने याचिकाकर्ता से कहा, “मुकदमे की बहुलता न रखें। आपने इसे एक जनहित याचिका के रूप में दायर किया था, यही कारण है कि इसे (उच्च न्यायालय द्वारा) खारिज कर दिया गया था।
बता दें कि 12 अक्टूबर, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जो कथित तौर पर कृष्ण जन्मभूमि पर बनी थी, जिसे याचिकाकर्ता वकील महक माहेश्वरी भगवान कृष्ण का जन्मस्थान होने का दावा करते हैं।
इस संबंध में मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी। हालांकि, दिसंबर के मध्य में दायर इस याचिका पर तुरंत सुनवाई नहीं हुई। अब इस मामले में शुक्रवार को इस मेंशन पर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं ट्रांसफर करने को लेकर होनी है सुनवाई
मालूम हो कि सर्वक्षण को लेकर मस्जिद कमेटी ने सभी 18 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के हाई कोर्ट के पहले के आदेश को चुनौती दी है। वहीं इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी है। 26 मई 2023 को कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वे के लिए कोर्ट की निगरानी में एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग स्वीकार कर ली थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
क्या था याचिका में?
दरअसल, ‘भगवान श्रीकृष्ण विराजमान’ और 7 अन्य लोगों ने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ASI सर्वे की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है और ऐसे कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था। यहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है जो हिंदू मंदिरों की विशेषता है। याचिका में कहा गया है कि वहां हिंदू देवताओं में से एक ‘शेषनाग’ की एक छवि भी मौजूद है।
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