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अवैध तरीके से करवा रहे खे धर्म परिवर्तन, मौलाना समेत 12 लोग नप गए, जिंदगी भर की सजा

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : September 11, 2024, 7:46 pm IST

Lucknow illegal conversion case

India News (इंडिया न्यूज़), Lucknow illegal conversion case:लखनऊ अवैध धर्मांतरण मामले में विशेष एनआईए-एटीएस कोर्ट ने मौलाना उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 अन्य आरोपियों को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अन्य 4 आरोपियों राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी और सलीम पर लगाई गई धाराओं के मुताबिक 10 साल कैद के साथ जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कल सभी को दोषी करार दिया था और आज सजा का ऐलान किया। एनआईए एटीएस कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 120बी, 153ए, 153बी, 295ए, 121ए, 123 और अवैध धर्मांतरण अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 के तहत दोषी ठहराया। इन धाराओं के तहत आरोपियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अवैध धर्मांतरण के इस मामले में कुल 17 आरोपी थे, जिनमें से 16 को दोषी करार दिया जा चुका है। 17वें आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल चुका है।

एमबीबीएस छोड़कर वह इस्लामिक स्कॉलर बन गए मौलाना 

मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र के फुलत गांव निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी ने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली। इसके बाद वह दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने लगा। एमबीबीएस छोड़कर वह इस्लामिक स्कॉलर बन गया। मौलाना ने 18 साल तक दिल्ली के शाहीन बाग में अपना ठिकाना बनाया था। मौलाना कलीम सिद्दीकी को उत्तर प्रदेश एटीएस ने 22 सितंबर 2021 की रात दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था।

धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार

उसे और उसके साथियों को बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 562 दिन जेल में रहने के बाद अप्रैल 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कलीम को जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में आगे की सुनवाई शुरू हुई, जिसमें कलीम सिद्दीकी की जमानत पर शर्तें लगाई गईं। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिए। उसे एनसीआर से बाहर जाने से रोक दिया गया और कोर्ट ने उसे हमेशा अपना फोन लोकेशन ऑन रखने का निर्देश भी दिया, ताकि जांच अधिकारी उसे ट्रैक कर सकें।

मौलाना कलीम सिद्दीकी ने वर्ष 1991 में जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा की स्थापना की थी। गांव में पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए स्कूल की स्थापना की गई थी, लेकिन बाद में इसे केरल की एक संस्था को सौंप दिया गया। वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत थे। इस मामले में मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी समेत कलीम सिद्दीकी के अन्य सहयोगियों की भी गिरफ्तारी हुई थी। उत्तर प्रदेश एटीएस ने आरोप लगाया था कि ये सभी धर्म परिवर्तन की साजिश में शामिल थे और विदेशी फंडिंग की मदद से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे।

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