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India News(इंडिया न्यूज), Medha Patkar: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को मानहानि के एक मामले में 5 महीने कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने पाटकर को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। यह मानहानि का दावा दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 23 साल पहले दायर किया था।
वीके सक्सेना ने 2001 में पाटकर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था, जब वे अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। मेधा पाटकर ने “देशभक्त का असली चेहरा” शीर्षक से एक प्रेस नोट में सक्सेना को “कायर” कह दिया था और इसके साथ ही उन पर गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रखने का भी आरोप लगाया था।
Delhi’s Saket court sentenced Narmada Bachao Andolan activist Medha Patkar to 5 months simple imprisonment, in a defamation case filed by then KVIC Chairman V K Saxena (now Delhi LG).
The court has also directed Medha Patkar to pay a compensation of Rs. 10 lakh to V K Saxena
— ANI (@ANI) July 1, 2024
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उनकी उम्र, स्वास्थ्य और सजा की अवधि को देखते हुए उन्हें भारी सजा नहीं दी जा रही है और अदालत ने अपने सामने मौजूद सबूतों और इस तथ्यों पर विचार करने के बाद पाटकर को सजा सुनाई है कि यह मामला दो दशक से भी ज्यादा समय से चल रहा है। फैसला सुनाने के साथ ही कोर्ट ने एक्टिविस्ट पाटकर को फैसले को चुनौती देने के लिए भी समय दिया है। यही वजह है कि साकेत कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद सजा को 30 दिन के लिए निलंबित भी कर दिया है।
साकेत कोर्ट के इस फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने भी प्रतिक्रिया दी है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा है कि “सत्य को कभी पराजित नहीं किया जा सकता है। हमने कभी भी किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की है। हम सिर्फ अपना काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वह कोर्ट के इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगी।”
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