संबंधित खबरें
महाराष्ट्र फतह के बाद फिर से चुनावी तैयारी में जुटे Fadnavis, शरद पवार ने सीधे CM को कर दिया कॉल, राज्य की राजनीति में अभी नहीं थमा है तूफान
GST Council Meeting Highlights: कौड़ियों के दाम में मिलेंगी ये चीजें, निर्मला सीतारमण के इस फैसले से खुशी से उछल पड़े सभी वर्ग के लोग
हिमंत सरकार ने की बड़ी कार्रवाई, असम में 24 घण्टें में 416 लोगों को किया गया गिरफ्तार, बाकी राज्यों के लिए बना रोल मॉडल
कांग्रेस के बुरे दिन बरकरार! हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद इस राज्य से आई बुरी खबर, सहयोगी ने ही दे दिया बड़ा घाव
विपक्ष के लगातार अमित शाह पर किए जा रहे हमलों का बीजेपी ने निकाला तोड़, पार्टी जल्द शुरू करेगी ये काम, कांग्रेस और सपा की उड़ने वाली है नींद
'वीटो लगाने की अनुमति नहीं देगा…' जाने बिना नाम लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किस देश की लगा दी क्लास?
Harish Salve: सियासी घमासान के बीच न्यायपालिका पर भी तीखी टिप्पणियां होने लगी हैं। ऐसे में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत 600 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर एक खास समूह पर निहित स्वार्थ के तहत न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
पत्र में किसी का नाम लिए बिना कहा गया है कि एक निश्चित समूह अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और कमजोर तर्कों के आधार पर अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। यह पत्र मुख्य न्यायाधीश को ऐसे समय भेजा गया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े हाई प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई कर रही हैं।
यह भी पढ़ेंः- पश्चिम बंगाल में हुए ईडी पर हुए हमले का जिम्मेदार कौन? CBI रिपोर्ट में हुआ ये बड़ा खुलासा
विपक्षी दल लगातार अपने नेताओं को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाए जाने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, सत्ता पक्ष ने आरोपों से इनकार किया है। मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्र में वकीलों ने चिंता व्यक्त की है कि यह निहित स्वार्थी समूह अदालतों के पुराने तथाकथित स्वर्ण युग की गलत कहानियाँ गढ़ता है और अदालतों की वर्तमान कार्यवाही पर सवाल उठाता है।
वे जानबूझकर राजनीतिक लाभ के लिए अदालती फैसलों पर बयान देते हैं। यह परेशान करने वाली बात है कि कुछ वकील दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। इसी समूह ने बेंच फिक्सिंग की पूरी अवधारणा गढ़ी है जो न केवल अपमानजनक और अवमाननापूर्ण है, बल्कि अदालतों के सम्मान और प्रतिष्ठा पर भी हमला है।
यह भी पढ़ेंः- India-China Diplomatic Talks: LAC पर सैनिकों की वापसी तो अरुणाचल पर बबाल, इस बैठक में चीन की मनसा हुआ उजागर
पत्र में आगे कहा गया है कि ये लोग देश की अदालतों की तुलना उन देशों से करने की हद तक चले गए हैं जहां कानून का शासन नहीं है। इसका उद्देश्य न्यायपालिका में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचाना और कानून के निष्पक्ष कार्यान्वयन को खतरे में डालना है। यह समूह उन निर्णयों की सराहना करता है जिनसे वह सहमत होता है, लेकिन जिन निर्णयों से वह असहमत होता है उन्हें अस्वीकार करता है, निंदा करता है और उनकी उपेक्षा करता है।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि कुछ तत्व अपने मामलों में न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और इंटरनेट मीडिया पर झूठ फैलाकर उन पर एक विशेष तरीके से फैसला देने का दबाव बना रहे हैं। पत्र में समय और मंशा पर सवाल उठाते हुए बारीकी से जांच की जरूरत बताई गई है। कहा गया है कि ये सब बहुत ही रणनीतिक तरीके से हो रहा है, जब देश चुनाव की ओर बढ़ रहा है।
पत्र में अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट मजबूती से खड़ा रहे और अदालतों को ऐसे हमलों से बचाने के लिए कदम उठाए। चुप रहना और कुछ न करना उन लोगों को अधिक शक्ति दे सकता है जो नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। यह चुप रहने का समय नहीं है क्योंकि ऐसी कोशिशें कुछ वर्षों से हो रही हैं और बार-बार हो रही हैं। इस कठिन समय में मुख्य न्यायाधीश का नेतृत्व महत्वपूर्ण है।
यह भी पढ़ेंः- Raghav Magunta: कौन हैं राघव मगुंटा? केजरीवाल ने जिनके नाम का कोर्ट में किया जिक्र
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.