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राजा भारमल के भाई को मुगल गवर्नर मिर्जा शराफुद्दीन हुसैन का समर्थन मिल रहा था।
इरा मुखोटी, जिन्होंने अकबर की एक और जीवनी ‘अकबर द ग्रेट मुगल: द डेफिनिटिव बायोग्राफी’ लिखी है, लिखती हैं, “राजा भारमल एक अच्छे रणनीतिकार थे। उन्होंने अपने भाई पर काबू पाने के लिए अकबर की मदद मांगी और अपनी बेटी हरखा की शादी का प्रस्ताव रखा।
मान बाई आमेर की राजकुमारी थीं, वे जनरल मान सिंह की बहन थीं, जो मुगल सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। इतिहासकारों के अनुसार अकबर जहांगीर की बुरी आदतों से वाकिफ था। इसीलिए उसने जहांगीर से शादी करने का फैसला किया। इसके लिए अकबर ने मान सिंह के सामने मान बाई को जहांगीर की बेगम बनाने का प्रस्ताव रखा। जिसे मान सिंह ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। इतिहासकारों के अनुसार मान बाई की शादी बहुत कम उम्र में ही जहांगीर से कर दी गई थी। शादी के बाद ही मान बाई को शाह बेगम की उपाधि मिली थी। यह इतनी बहादुर थीं कि इन्हें ‘द रॉयल लेडी’ भी कहा जाता था। मानबाई का नाम बदलकर शाह बेगम रख दिया गया था।
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