संबंधित खबरें
अमित शाह के बयान के बाद पूरे विपक्ष को लगी मिर्ची, ममता की पार्टी ने गृह मंत्री के खिलाफ उठाया ये कदम, पूरा मामला जान तिलमिला उठेंगे भाजपाई
गेटवे ऑफ इंडिया के पास बड़ा हादसा, नेवी की स्पीड बोट से टकराई नाव, बचाव अभियान जारी…अब तक 13 की मौत
वैष्णो देवी जाने वाले भक्तों को लगा बड़ा झटका! अब नहीं कर सकेंगे ये काम
सदन में उनका रौद्र रूप में आए सतीश महाना, मार्शल से कहा-अतुल प्रधान को उठाकर बाहर फेंक…
Exclusive Interview: PM Modi के 10 सालों में कितना बदल गया भारत? MP Kartikeya Sharma ने बताया विदेशों में कैसे बढ़ी इंडिया की शान
80 लोगों को ले जा रही नाव हुई तबाह,पानी के अंदर अपनी सांसें गिनते रहे लोग, फिर…
Mulayam Singh Yadav Death: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का आज सोमवार को निधन हो गया है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली है। 82 वर्ष की आयु में मुलायम सिंह का निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार कल सैफई में किया जाएगा। उनके निधन के बाद राजनीति जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
आज 10 अक्टूबर सुबह करीब 8:16 बजे मुलायम सिंह यादव ने आखिरी सांस ली। कल मंगलवार को सैफई में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 82 वर्षीय मुलायम सिंह यादव को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल के ICU में वेंटीलेटर पर रखा गया था। 22 अगस्त से ही खराब सेहत के चलते वह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। मुलायम सिंह यादव की सेहत पर डॉक्टर्स लगातार नजर बनाए हुए थे। बीते रविवार से उनकी हालत बेहद नाजुक थी। आज 10 अक्टूबर सुबह करीब 8:16 बजे मुलायम सिंह यादव ने आखिरी सांस ली
मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे – श्री अखिलेश यादव
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव समाजवादी विचारधारा का एक बड़ा नाम माना जाता था। राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव एक अध्यापक थे। बता दें कि उनके राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह ने इटावा ज़िले के जसवंत नगर से उन्हें वर्ष 1967 में चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। अपनी सीट से ही उन्होंने मुलायम सिंह को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया था। लोहिया से इस मामले को लेकर पैरवी की गई और उनके नाम पर मुहर लगा दी गई।
सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बनकर मुलायम सिंह यादव ने पहली बार हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव में हराया था। मुलायम उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र में बनने वाले विधायक बने थे। राममनोहर लोहिया के निधन के बाद जय प्रकाश नारायण के साथ मुलायम सिंह यादव आपातकाल के समय इंदिरा गांधी के विरोध में कूद पड़े थे। मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक करियर ने यहीं से अपनी उड़ान भरनी शुरू कर दी थी।
बता दें कि क्रेंद्र तथा उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव राज्य सरकार में मंत्री बने थे। जिसके बाद वह चौधरी चरण सिंह की लोकदल पार्टी से राज्य के अध्यक्ष बने थे। उन्होंने इसके विधायक का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह इसमें हार गए थे। साल 1967, 1974, 1977, 1985 और 1989 में मुलायम सिंह यादव विधानसभा के सदस्य रहे थे। इसके अलावा साल 1982-85 तक वह विधानपरिषद के सदस्य भी रहे थे। इसके साथ ही बता दें कि मुलायम राज्य विधानसभा में 8 बार नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
जिसके बाद साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समजावादी पार्टी का गठन किया था। जानकारी दे दें कि मुलायम तीसरे मोर्चे की सरकार के दौरान देश के रक्षामंत्री भी रह चुके हैं। बता दें कि साल 1989, 5 दिसंबर को मुलायम सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि मुद्दे के चलते मुलायम सिंह यादव के बीजेपी के साथ बाद में रिश्ते खराब हो गए थे। बीजेपी की यात्रा को मुलायम ने सांप्रदायिक बताया था। जिसके बाद साल 1990 में वीपी सरकार के गिरते ही उन्होंने जनता दल की जनता दल की सदस्यता भी ले ली थी। साथ ही कांग्रेस के समर्थन से वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे।
साल 1991 में कांग्रेस पार्टी से समर्थन वापस लेते ही उनकी सरकार गिर गई थी। जिसके बाद साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी थी। साल 1993 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी से मुलायम ने गठबंधन किया था। लेकिन मतभेदों की वजह से इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था। लेकिन कांग्रेस और जनता दल का इसके बावजूद भी मुलायम को समर्थन प्राप्त था। जिसके चलते मुलायम सिंह यादव दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे।
जिसके बाद साल 2002 में भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन करके उन्होंने बसपा से सरकार बनवाई थी। बीजेपी को ये गठबंधन मंजूर नहीं था जिसके चलते साल 2003 में इस गठबंधन से बीजेपी अलग हो गई थी। बसपा के बागी और सभी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से तब मुलायम सिंह यादव तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। जिसके बाद जब साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया तो मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया था।
अखिलेश यादव की मनमानियों की वजह से साल 2017 में मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव और बेटे अखिलेश के बीच में तनाव बढ़ गया था। इस मुद्दे को लेकर मुलायम ने शिवपाल का साथ दिया। अपनी ताकत दिखाकर मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की अध्यक्ष गद्दी हासिल कर ली थी। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ने पार्टी के अंदर अखिलेश और शिवपाल के टकराव में अहम भूमिका थी। इसी साल जुलाई में मुलायम की दूसरी पत्नी साधना का निधन हुआ था।
साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने पहली पत्नी मालती देवी के निधन के बाद साधना गुप्ता को पत्नी का दर्जा दिया था। हालांकि, इससे पहले भी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव के स्कूल में पिता के नाम की जगह मुलायम सिंह का ही नाम लिखा जाता था।
जानकारी दे दें कि अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव से साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने की वजह से नाराज हो गए थे। बताया जाता है कि उस वक्त ये समझौता किया गया कि साधना के बेटे प्रतीक यादव हमेशा राजनीति से दूरी बनाकर ही रखेंगे। ऐसे में साधना गुप्ता भी राजनीति से दूर ही रहीं। लेकिन फिर बाद में साधना की बहू और प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में अपना कदम रखा। विधानसभा का चुनाव भी अपर्णा यादव लड़ चुकी हैं। फिलहाल वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में हैं।
आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव एक विधानसभा से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक में अपनी अहम जगह बनाने में कामयाब रहे। लेकिन अपने बेटे अखिलेश से ही मुलायम को कई अहम चुनौतियां मिली। फिलहाल मुलायम सिंह यादव को पार्टी से दरकिनार किया जा रहा था। साथ ही पार्टी की पूरी कमान अखिलेश यादव के हाथों में ही है। मुलायम के सक्रिय राजनीति से दूर हट जाने के बाद साल 2014, 2017, 2019 तथा 2022 के चुनावों में समाजवादी पार्टी की हालत बुरी होती चली गई है।
Also Read: मुलायम सिंह यादव के निधन पर पीएम मोदी ने जताया शोक, ट्वीट कर प्रकट की संवेदना
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.