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India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Election Result 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने लगभग भारी जीत हासिल कर ली है। एक बार फिर महाराष्ट्र में सत्ता में आने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 से ज्यादा यानी 200 के पार पहुंच गया है। गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी (125) को मिली हैं। शिंदे गुट की शिवसेना (56) और अजित पवार की एनसीपी (39) को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। वहीं अगर महाविकास अघाड़ी की बात करें तो कोई भी पार्टी 25 सीटों के करीब नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस (22) को मिली हैं। इन नतीजों पर उद्धव ठाकरे ने हैरानी जताई है।
पूरे चुनाव के दौरान महायुति एकजुट नजर आई और सभी सहयोगी दल चुनावी एजेंडे पर एकजुट रहे। दूसरी तरफ सीएम चेहरे को लेकर तनातनी और बयानबाजी के चलते अघाड़ी की गाड़ी थम सी गई। अब महाराष्ट्र में सीएम चेहरे को लेकर चर्चा जोरों पर है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार का नाम सबसे आगे चल रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि महायुति किसे सीएम बनाती है।
इसके उलट देवेंद्र फडणवीस की मां सरिता फडणवीस ने सीएम पद को लेकर बड़ा बयान दिया है। सरिता फडणवीस ने बीजेपी की जीत पर कहा है कि, निश्चित तौर पर वह सीएम बनेंगे। यह बड़ा दिन है क्योंकि मेरा बेटा बड़ा नेता बन गया है। वह 24 घंटे मेहनत कर रहा था। इस बयान के बाद सीएम की रेस को लेकर चर्चा और भी दिलचस्प हो गई है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत की कई वजहें हैं। सबसे पहले तो ‘अगर बांटेंगे तो कट जाएंगे’ वाले बयान का असर महाराष्ट्र में काफी तेज रहा। इसके अलावा पीएम मोदी की ‘एक है तो सुरक्षित है’ जैसी अपील ने योगी के नारे को पंथ बना दिया। वहीं मुस्लिम संगठनों की ओर से महाविकास अघाड़ी को वोट देने का फतवा भी महायुति के लिए वरदान साबित हुआ। लेकिन यह अघाड़ी के काम नहीं आ सका। इसके अलावा लाडली बहना योजना से भी महायुति को फायदा मिला। महायुति को लोगों के बीच सही साबित करने में एकनाथ शिंदे का भी अहम योगदान रहा है।
इस चुनाव के दौरान उद्धव गुट ने विकास की बात कम और शिंदे से बदला लेने की लड़ाई ज्यादा लड़ी। बची-खुची कसर खुद उद्धव ठाकरे द्वारा प्रचार के दौरान बनाए गए वीडियो ने पूरी कर दी। वहीं शिंदे ने अपने ढाई साल के शासन में उनसे ज्यादा सक्रिय नेता की छवि बनाई है। इसके अलावा जिस तरह से टिकट बंटवारे के दौरान सीटों और सीएम चेहरे को लेकर विवाद हुआ, उससे भी उद्धव कमजोर नजर आए, जिसका असर चुनाव नतीजों में देखने को मिला।
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