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नवरात्रि के चौथे दिन दुर्गा का चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा की अराधना की जाती है। मान्यता है कि मां कुष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा स्वरूप की पूजा से न सिर्फ रोग-शोक दूर होता है यश, बल और धन में भी वृद्धि होती है। देवी कुष्मांडा का मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है। इन्हें दुर्गाकुंड वाली दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते है शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले स्नान आदि से करें। इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इसके बाद मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं। आप इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं।
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद और कृपा बनाए रखती हैं।
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