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India News (इंडिया न्यूज़), Fake Currency Case, बिहार: पटना में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने बिहार के ‘नकली भारतीय मुद्रा नोट’ के दो अलग-अलग मामले में मुख्य आरोपी को सात साल की कठोर कारावास (आरआई) की सजा सुनाई है और जुर्माना लगाया है।
मामले में नेपाल के बारा जिले के रहने वाले अबी मोहम्मद अंसारी को दोषी ठहराया गया है और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत 7 साल की सज़ा और 5000 रुपये की सजा सुनाई गई है। साथ ही आईपीसी की धारा 489 बी और 489 सी और यूए(पी) अधिनियम के 16, 18, 20 के तहत भी इतनी ही सजा और जुर्माना लगाया गया है।
बिहार के पूर्वी चंपारण में नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) की जब्ती मामले में अंसारी दूसरा आरोपी था। आरोपी के पास से 30 सितंबर, 2015 को 500 रुपये के नोट जब्त किए गए थे जिसका कुल मूल्य 25,43,000 रुपये था। मो. अली अख्तर अंसारी रक्सौल स्थित मेसर्स गति किंतेत्सु एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड में नकली नोट की डिलीवरी लेने आया था।
एनआईए के मुताबिक, जांच के दौरान अंसारी ने खुलासा किया कि जब्त किए गए नोट नकली थे और उन्हें किसी विदेशी देश से भारत में तस्करी कर लाया गया था। जांच से पता चला कि संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक सैयद मुहम्मद शफी ने आईसीएस (अंतर्राष्ट्रीय कूरियर सेवा) के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात से नकली मुद्रा वाले पार्सल को गिरफ्तार आरोपियों को भेजा था। यह खेप एक विदेशी देश से एक कॉम्प्लेक्स के माध्यम से मंगाई गई थी।
एनआईए की जांच से पता चला है कि एफआईसीएन तस्करों का नेटवर्क है। मामला शुरू में 24 सितंबर, 2015 को डीआरआई, मुजफ्फरपुर, बिहार द्वारा दर्ज किया गया था और 15 मार्च, 2016 को एनआईए द्वारा फिर से दर्ज किया गया था। दोनों आरोपियों, मोहम्मद अख्तर अंसारी और अबी मोहम्मद अंसारी के खिलाफ अलग-अलग आरोप पत्र क्रमशः 21 सितंबर, 2016 और 14 अक्टूबर, 2017 को दायर किए गए थे। मोहम्मद अली अख्तर अंसारी को 18 जुलाई, 2022 को 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ 20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
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