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India News (इंडिया न्यूज), Atul Subhash Case Latest Update: एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच पुलिस सूत्रों का कहना है कि, अतुल के भाई विकास मोदी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। केस दर्ज कराने के बाद से वे जांच अधिकारी के सामने गवाही देने के लिए पेश नहीं हुए हैं। उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया था। बेंगलुरू पुलिस को इस बात की पुष्टि करने के लिए सबूत जुटाने होंगे कि सुसाइड नोट में लिखी लिखावट अतुल सुभाष से मिलती है या नहीं? अतुल के भाई विकास ने पुलिस से जो शिकायत किए हैं। उसमें लगाए गए आरोपों के समर्थन में सबूत पेश करने होंगे, जिसमें लिखावट सत्यापन के लिए अतुल द्वारा लिखा गया पत्र भी शामिल है। अब तक जुटाए गए सबूतों को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा जा चुका है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, पीड़ित परिवार लगातार इस मामले में न्याय की मांग कर रहा है। अतुल की आखिरी इच्छा भी यही थी कि उसे न्याय मिले, उसकी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों को अदालत उचित सजा दे। यही वजह है कि उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो उनकी अस्थियों को कोर्ट के सामने नाले में फेंक दिया जाए। उनके परिवार वालों ने उनकी अस्थियों को संभालकर रखा है।
अतुल सुभाष के वीडियो और सुसाइड नोट के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने निकिता और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है। आईपीसी की धारा 3(5) कहती है कि जब कई लोग एक ही इरादे से कोई अपराध करते हैं, तो उसके लिए सभी समान रूप से जिम्मेदार होते हैं। आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए धारा 108 लगाई गई है। अगर कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या के लिए उकसाता है, तो दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल की जेल हो सकती है। जुर्माने का भी प्रावधान है।
10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए कहा था कि किसी को भी आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी तब तक नहीं माना जा सकता, जब तक यह साबित न हो जाए कि वह सीधे या परोक्ष रूप से उसकी मौत से जुड़ा था। ऐसे मामले में मौत का समय भी एक अहम सबूत साबित होता है। दरअसल, गुजरात में एक पत्नी की आत्महत्या के मामले में उसके पति और ससुराल वालों पर उसे आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था। निचली अदालत और गुजरात हाई कोर्ट ने दोषियों को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया। ऐसे में लगता है कि अतुल के ससुराल वालों में से किसी को भी उसकी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
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