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India News (इंडिया न्यूज), Agniveer Scheme: लोकसभा चुनाव के नतीजों में इस बार भाजपा पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। भाजपा को अपने तीसरे कार्यकाल में गठबंधन के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसके संकेत गुरुवार (6 जून) को तब मिले जब उसके सहयोगी नीतीश कुमार की जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि अग्निपथ योजना की समीक्षा की जरूरत है। इस योजना का काफी विरोध हुआ और इसका असर चुनाव में भी देखने को मिला। बिहार के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम इस बारे में टकराव नहीं करेंगे, जब अग्निपथ योजना शुरू की गई थी, तो सशस्त्र बलों के एक बड़े वर्ग में असंतोष था। उनके परिवारों ने भी चुनाव के दौरान विरोध किया था। इसलिए, इस पर चर्चा करने की जरूरत है।
बता दें कि, केंद्र ने सशस्त्र बलों को दुबला बनाने और रक्षा पेंशन बिल को कम करने के लिए 2022 में अग्निपथ योजना का अनावरण किया। इस योजना के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना में चार साल के अल्पकालिक अनुबंध पर कर्मियों की भर्ती की जाती है। कुल वार्षिक भर्तियों में से केवल 25% को स्थायी कमीशन के तहत अगले 15 वर्षों तक जारी रखने की अनुमति है। इस योजना के कारण बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। एक राष्ट्र एक चुनाव, नागरिक संहिता पर जेडी(यू) नेता त्यागी ने कहा कि पार्टी भाजपा की एक राष्ट्र एक चुनाव नीति के पक्ष में है। लेकिन वह बीजेपी के घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता के वादे को लेकर अधिक सतर्क हैं।
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बता दें कि, एक राष्ट्र एक चुनाव में लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की परिकल्पना की गई है। पिछली भाजपा सरकार ने इसकी व्यवहार्यता की जांच के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक पैनल का गठन किया था। पैनल ने इस साल मार्च में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी।वहीं समान नागरिक संहिता पर त्यागी ने कहा कि इस मामले में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने और उनके विचारों को समझने की जरूरत है। यूसीसी धर्म के बावजूद सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का एक सेट प्रस्तावित करता है।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख आज भी वही है। इस मामले में सभी पक्षों को साथ लेकर चलने और उनकी राय जानने की जरूरत है। नीतीश कुमार ने यूसीसी पर विधि आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि हम इसके खिलाफ नहीं हैं। लेकिन इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। सभी मुख्यमंत्रियों से इस पर चर्चा कर एकमत निर्णय लिया जाना चाहिए।
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