संबंधित खबरें
मणिपुर में जल्द होगी शांति! राज्य में हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला, उपद्रवियों के बुरे दिन शुरू
उपचुनाव के बाद UP में आया सियासी भूचाल,ओवैसी ने CM योगी पर लगाया बड़ा आरोप
नतीजों से पहले ही हो गई होटलों की बुकिंग? झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने विधायकों को दिया सीक्रेट इशारा
चुनाव नतीजों से पहले महाराष्ट्र में BJP को किसने दिया धोखा? ठहाके मार रहे होंगे उद्धव ठाकरे…जानें पूरा मामला
मक्का की मस्जिदों के नीचे मंदिर है?, नरसिंहानंद ने खोला 'अरब से आए लुटेरों' का राज, फिर बिदक जाएंगे मौलाना
रद्द होंगे UP के उपचुनाव? अखिलेश के चाचा ने बंदूक कांड पर मचाया बवाल, हार का डर या कुछ और
India News(इंडिया न्यूज),NCERT: एनसीईआरटी प्रमुख ने कहा है कि स्कूलों में दंगों के बारे में पढ़ाना सही नहीं है और इससे हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा हो सकते हैं। उन्होंने यह बात स्कूली किताबों से गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े अंशों को संशोधित करने के संदर्भ में कही।
मीडिया से बातचीत में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में बदलाव वार्षिक संशोधन का हिस्सा है और इसे शोर-शराबा नहीं बनाया जाना चाहिए। गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त लोग।
उन्होंने कहा, ‘क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक बनें, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत के शिकार बनें? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें इतने छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए? जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में जान पाएंगे, लेकिन स्कूली किताबें क्यों? उन्हें बड़ा होने दें और समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों को लेकर हंगामा अप्रासंगिक है।’ एनसीईआरटी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई संशोधनों के साथ नई किताबें आई हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पुस्तक में बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है, बल्कि इसे “तीन गुंबद वाली संरचना” के रूप में संदर्भित किया गया है। साथ ही, अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ कर दिया गया है और पिछले संस्करण से इसका विवरण हटा दिया गया है।
दिनेश सकलानी ने कहा कि हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं और यही हमारी पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य है। हम उनमें सब कुछ नहीं डाल सकते। हमारी शिक्षा का उद्देश्य उदास या हिंसक नागरिक बनाना नहीं है। घृणा और हिंसा शिक्षण के विषय नहीं हैं। हमारी पाठ्यपुस्तकों को उन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि 1984 के दंगों के किताबों में न होने पर भी इतना हंगामा नहीं होता।
EVM को लेकर मस्क के बयान ने छिड़ी बहस, इस नेता ने दिया करारा जबाव
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.