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India News (इंडिया न्यूज), Nyoma Airfield In Ladakh : चीन को देखते हुए भारत ने 2020 से ही हाई एल्टिट्यूड एरिया में सेना की ताकत बढ़ाना शुरू कर दिया था। सेना की मूवमेंट को पूर्वी लद्दाख में आसान बनाने और कम समय में पहुंचने की रणनीति पर सरकार काम कर रही है। अब इसी कड़ी में पूर्वी लद्दाख में एयरबेस न्योमा का निर्माण पूरा कर लिया गया है। निर्माण पूरा होने के बाद इसपर वायुसेना का लैंडिंग ट्रायल भी शुरू हो गया है। जानकारी के मुताबिक पिछले हफ्ते ही वायुसेना के C-130 J सुपर हरक्यूलिस ने पहली बार नए रनवे के उपर से भरी उड़ान। C-130J ने लैंडिंग सर्किट को पूरा किया और रनवे पर लो ओवर शूट ट्रायल को अंजाम दिया। खबरों के मुताबिक जल्द ही न्योमा एयरफील्ड पूरी तरह से एक्टिव हो जाएगा।
न्योमा एटरफील्ड के एक्टिव होने के बाद वायुसेना को लद्दाख से फाइटर ऑप्रेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल जाएगा। भारतीय वायुसेना 13700 फिट की उंचाई पर न्योमा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड कर के नया फाइटर बेस तैयार कर रही है। 2.7 किलोमीटर लंबा ये रनवे है और अब ये पूरी तरह से कंक्रीट का है। यहां ट्रांसपोर्ट ऑपरेशन और फाइटर ऑप्रेशन को चलाया जा सकता है. इससे पहले सिर्फ लेह और थौएस ही एसे एयरबेस थे। लेह तक बडे हैवि लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्रफ्ट के जरिए सैनिको को लाने फिर हाइ ऑलटेट्यूड में तैनाती के लिए C-130 J, चिनूक हैलिकॉप्टर के ज़रिए इसी ALG का इस्तेमाल किया गया था।
इन इलाकों में भारत की स्थिति चीन से बेहतर है। एक दो को छोड़ दिया जाए तो सभी भारतीय एयरबेस प्लेन इलाके में है। यहां से भारतीय फाइटर या मालवाहक जहाज फुल लोड के साथ उड़ान भर सकते हैं। चीन अपने रनवे की लंबाई बढ़ाकर भारत की बराबरी करने की कोशिश कर रहा है।
India’s highest airfield at Mudh-Nyoma (13,700ft) in Eastern Ladakh, near the LAC, is almost ready! With a 3km runway for emergency operations, it’s a game-changer for national security & connectivity in the region. #ModiSarkar‘s commitment to #ViksitBharat mission on the ground. pic.twitter.com/qdJREaOlEJ
— Jamyang Tsering Namgyal (@jtnladakh) November 2, 2024
अभी तिब्बत और शिंगजियान में चीन के पास कुल 20 एयरपोर्ट और हैलिपोर्ट मौजूद हैं। ये सब समुद्र तल से 3000 मीटर से ज़्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर चीन के लिए हाई ऑलटेट्यूड फाइटर ऑप्रेशन चलाना सबसे बड़ी परेशानी है। असल में एयर डेनसिटी कम होने के चलते चीन इतनी उंचाई से अपने फाइटर को फुल लोड के साथ टेकऑफ करना मुश्किल है। इसी के चलते चीन ने अपने एयर बेस के रनवे की लंबाई को बढ़ा करने की कोशिश की।
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