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India News (इंडिया न्यूज), South China Sea: भारत ने शुक्रवार (28 जून) को कहा कि वह दक्षिण चीन सागर में यथास्थिति को बदलने के लिए बल प्रयोग करने की एकतरफा कार्रवाई का विरोध करता है। भारत ने इस क्षेत्र में फिलीपींस के समुद्री संचालन के खिलाफ चीन के बढ़ते कदमों पर चिंता जताई है।दक्षिण चीन सागर में कुछ दिन पहले चीन और फिलीपींस के समुद्री सुरक्षा कर्मियों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन, नियम-आधारित व्यवस्था के सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण तरीके से समाधान पर जोर दिया है। इसके अलावा, हमारा यह भी मानना है कि ऐसी कोई घटना या दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए जिससे क्षेत्र में अस्थिरता आए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारत की इस दीर्घकालिक स्थिति को भी रेखांकित किया कि विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अस्थिर करने वाली या एकतरफा कार्रवाइयों का भी विरोध करते हैं। जो बल या दबाव के ज़रिए यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती हैं। साथ ही हम विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं। दरअसल, हाइड्रोकार्बन के एक बड़े स्रोत दक्षिण चीन सागर पर चीन के व्यापक संप्रभुता के दावों को लेकर वैश्विक चिंताएँ बढ़ रही हैं। वहीं वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई सहित क्षेत्र के कई देशों ने इसके ख़िलाफ़ जवाबी दावे किए हैं।
बता दें कि, भारत और कई अन्य लोकतांत्रिक देश विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतरराष्ट्रीय कानून, ख़ास तौर पर यूएनसीएलओएस के पालन के लिए दबाव डाल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने दक्षिण चीन सागर में ताजा तनाव के बाद इस सप्ताह अपने फिलिपिनो समकक्ष एडुआर्डो एम एनो से बात की। व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया है कि सुलिवन और एनो ने दक्षिण चीन सागर में सेकंड थॉमस शोल के पास फिलीपींस के वैध समुद्री संचालन के खिलाफ चीन की खतरनाक और आक्रामक कार्रवाइयों पर साझा चिंताओं पर चर्चा की।
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